सुप्रीम कोर्ट को गुरुवार को बताया गया कि 12 जून को हुए एयर इंडिया विमान हादसे में पायलट को AAIB (एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन बोर्ड) की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहीं भी दोषी नहीं ठहराया गया है। यह जानकारी न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ के सामने उस याचिका की सुनवाई के दौरान दी गई, जिसे हादसे में मारे गए एक व्यक्ति के पिता ने दायर किया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि विमान दुर्घटना की जांच टीम अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत बनाई गई है और इसके लिए विधिक प्रावधान भी मौजूद हैं।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बागची ने कहा, “AAIB की जांच किसी पर दोष तय करने के लिए नहीं होती। इसका उद्देश्य केवल दुर्घटना के कारणों को स्पष्ट करना होता है ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।”
वहीं, एनजीओ की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि इतनी बड़ी दुर्घटना पर समानांतर जांच—जैसे कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी—की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एक पायलट संघ ने इन विमानों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं और कहा है कि इन पर यात्रा करने वालों के लिए बड़ा जोखिम बना हुआ है।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने टिप्पणी की कि यह कार्यवाही किसी एक एयरलाइन बनाम दूसरी एयरलाइन का मुद्दा नहीं बननी चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि वह याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करे। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद तय की।
12 जून को अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भरने वाला एयर इंडिया का बोइंग 787-8 विमान (फ्लाइट AI171) उड़ान भरने के तुरंत बाद एक मेडिकल हॉस्टल परिसर पर जा गिरा। इस हादसे में कुल 265 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 241 यात्री और क्रू सदस्य शामिल थे।
मृतकों में 169 भारतीय, 52 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली, 1 कनाडाई नागरिक और 12 क्रू सदस्य शामिल थे। हादसे में केवल एक व्यक्ति—ब्रिटिश नागरिक विश्वास कुमार रमेश—जीवित बच पाए।
AAIB की अंतिम रिपोर्ट अभी लंबित है।




