आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक रमन अरोड़ा ने 4 सितंबर को हुए अपनी ताज़ा गिरफ़्तारी को चुनौती देते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है।
जालंधर सेंट्रल से विधायक अरोड़ा को सबसे पहले 23 मई को राज्य विजिलेंस ब्यूरो (VB) ने एक माह लंबी जांच के बाद गिरफ़्तार किया था। उन पर, जालंधर नगर निगम के सहायक टाउन प्लानर सुखदेव वशिष्ठ के साथ मिलकर आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं की पहचान करने, उल्लंघन नोटिस जारी करने और फिर मामले “निपटाने” के लिए रिश्वत मांगने का आरोप था।
3 सितंबर को हाईकोर्ट ने उन्हें इस मामले में ज़मानत दे दी थी। लेकिन ज़मानत पर रिहाई से पहले ही विजिलेंस ब्यूरो ने 4 सितंबर को उन्हें एक नए भ्रष्टाचार मामले में फिर से गिरफ़्तार कर लिया। यह मामला 23 अगस्त को रामा मंडी थाने में दर्ज हुआ था, जिसमें अरोड़ा पर जालंधर के पार्किंग कांट्रैक्टर रमेश कुमार से वसूली करने का आरोप लगाया गया है।

अपनी याचिका में अरोड़ा ने दावा किया कि उन्हें “लगातार आपराधिक मामलों में फंसाकर परेशान” किया जा रहा है, जो पार्टी के अंदरूनी मतभेद और राजनीतिक दबाव का परिणाम है, ताकि उन्हें विधायक पद से इस्तीफ़ा देने पर मजबूर किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि गिरफ़्तारी से पहले और गिरफ़्तारी के समय उन्हें किसी भी प्रकार के “गिरफ़्तारी के आधार” नहीं बताए गए।
याचिका में 3 सितंबर को न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी प्रोडक्शन वारंट और उसके बाद दी गई गिरफ़्तारी व पुलिस रिमांड की अनुमति को भी चुनौती दी गई है।
यह मामला जस्टिस त्रिभुवन दहिया के समक्ष आया, जिन्होंने इसे 16 सितंबर को आगे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।