कोटखाई हिरासत मौत मामला: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पूर्व हिमाचल IGP ज़हूर हैदर ज़ैदी की उम्रकैद की सज़ा पर लगाई रोक

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने वर्ष 2017 के कोटखाई हिरासत मौत मामले में पूर्व हिमाचल प्रदेश के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IGP) ज़हूर हैदर ज़ैदी को बड़ी राहत देते हुए उनकी उम्रकैद की सज़ा के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ कोई स्पष्ट मकसद सामने नहीं आता और वह पहले ही पांच साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं।

जस्टिस अनूप चितकारा और जस्टिस सुखविंदर कौर की खंडपीठ ने मंगलवार को ज़ैदी को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए 25,000 रुपये का जमानत बांड भरने के निर्देश दिए। ज़ैदी को जनवरी 2025 में चंडीगढ़ स्थित विशेष CBI अदालत ने सात अन्य पुलिसकर्मियों के साथ दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी।

मामले की पृष्ठभूमि वर्ष 2017 की है, जब हिमाचल प्रदेश के कोटखाई इलाके में एक 16 वर्षीय छात्रा 4 जुलाई को लापता हो गई थी। दो दिन बाद 6 जुलाई को उसका शव हलाईला के जंगलों में मिला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके साथ बलात्कार और हत्या की पुष्टि हुई थी। इस घटना से राज्यभर में भारी जनाक्रोश फैल गया, जिसके बाद तत्कालीन सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया, जिसकी कमान ज़हूर हैदर ज़ैदी को सौंपी गई थी। SIT द्वारा गिरफ्तार किए गए छह आरोपियों में सूरज भी शामिल था।

18 जुलाई 2017 को सूरज की मौत कोटखाई पुलिस थाने में हिरासत के दौरान हो गई। इसके बाद हिरासत में मौत को लेकर अलग से जांच शुरू हुई। बढ़ते विवाद और आरोपों के बीच हिमाचल प्रदेश सरकार ने बलात्कार-हत्या और हिरासत मौत, दोनों मामलों की जांच CBI को सौंप दी। केंद्रीय एजेंसी ने ज़ैदी और अन्य पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ आपराधिक साजिश, हत्या, सबूत गढ़ने व नष्ट करने, हिरासत में यातना देकर स्वीकारोक्ति लेने और फर्जी रिकॉर्ड तैयार करने जैसे गंभीर आरोप लगाए।

हाई कोर्ट में ज़ैदी की ओर से दलील दी गई कि हिरासत में मौत के समय वह पुलिस थाने में मौजूद नहीं थे। उन्होंने कहा कि वह अपने पिता के निधन के बाद अंतिम संस्कार से जुड़े धार्मिक कर्मकांड के लिए पहले से स्वीकृत अवकाश पर थे।

कोर्ट ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि शव पर पाई गई चोटें पुलिस हिरासत में होने वाली आम क्रूर पद्धतियों की ओर इशारा करती हैं, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि ज़ैदी की अनुपस्थिति में हुई इन चोटों के लिए उन्हें सीधे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने यह भी कहा कि सूरज की मौत के पीछे ज़ैदी का कोई स्पष्ट मकसद सामने नहीं आता।

खंडपीठ ने CBI की उस थ्योरी पर भी सवाल उठाए, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 13 जुलाई 2017 को ज़ैदी द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद गिरफ्तारी को सही ठहराने के लिए स्वीकारोक्ति निकलवाने की साजिश रची गई। कोर्ट ने कहा कि स्वीकारोक्ति को किसी भी स्थिति में वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं माना जा सकता।

READ ALSO  High Court Directs Fair Consideration of Ram Rahim's Temporary Release Plea

इन सभी पहलुओं और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि ज़ैदी पांच साल से अधिक समय से जेल में हैं, हाई कोर्ट ने सज़ा पर रोक लगाने का आदेश दिया। साथ ही स्पष्ट किया कि यह टिप्पणियां केवल सज़ा निलंबन की अर्जी पर विचार के लिए हैं और अंतिम अपील के फैसले को प्रभावित नहीं करेंगी।

गौरतलब है कि मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत मौत से जुड़े मामले को शिमला से चंडीगढ़ स्थानांतरित किया था, जहां CBI अदालत ने इस वर्ष की शुरुआत में पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया था।

READ ALSO  वकील बनकर कोर्ट में स्थगन माँगने पर लॉ के छात्र पर दर्ज हुई FIR, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गिरफ़्तारी पर लगायी रोक
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles