दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उद्योगपति अनिल अंबानी के पुत्र जय अनमोल अंबानी की कंपनी के बैंक खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित करने के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के फैसले को रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि यह फैसला बिना किसी वैध कारण बताओ नोटिस (शो कॉज नोटिस) के लिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन है।
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने कहा कि बैंक द्वारा जिस पते पर शो कॉज नोटिस भेजे जाने का दावा किया गया, वह पता कंपनी वर्ष 2020 में ही छोड़ चुकी थी। ऐसे में यह नहीं माना जा सकता कि याचिकाकर्ता को नोटिस की विधिवत सेवा हुई थी।
अदालत ने कहा,
“यह न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित करने से पहले वास्तव में कोई शो कॉज नोटिस सेवा नहीं किया गया। अतः सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में उक्त वर्गीकरण और ‘फ्रॉड’ की घोषणा को रद्द किया जाता है।”
हालांकि, हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस आदेश से यूनियन बैंक को कानून के अनुसार नए सिरे से कार्रवाई करने से नहीं रोका जाएगा। अदालत ने कहा कि बैंक जय अनमोल अंबानी को नया शो कॉज नोटिस जारी कर सकता है, सभी प्रासंगिक दस्तावेज उनके साथ साझा करेगा और जवाब प्राप्त करने के बाद नया आदेश पारित कर सकता है।
यह मामला जय अनमोल अंबानी द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अक्टूबर में उनके खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित करते समय न तो उन्हें कोई नोटिस दिया गया और न ही सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि किसी खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित करने से पहले उधारकर्ता को पूर्व सूचना और जवाब देने का अवसर देना अनिवार्य है। जय अनमोल अंबानी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने दलील दी कि यूनियन बैंक के हलफनामे से ही स्पष्ट होता है कि नोटिस उस पते पर भेजा गया था, जिसे कंपनी सितंबर 2020 में ही खाली कर चुकी थी।
इन दलीलों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा कि इसका सीधा अर्थ यह है कि खाते को ‘फ्रॉड’ घोषित करने से पहले याचिकाकर्ता को कोई शो कॉज नोटिस सेवा नहीं किया गया।
गौरतलब है कि इस मामले से जुड़ी पृष्ठभूमि में सीबीआई ने जय अनमोल अंबानी और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) के खिलाफ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को लगभग 228 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई बैंक (पूर्व में आंध्र बैंक) की शिकायत पर की गई थी, जिसमें RHFL, जय अनमोल अंबानी और कंपनी के एक अन्य निदेशक रविंद्र शरद सुदाकर को आरोपी बनाया गया है।
शिकायत के अनुसार, RHFL ने मुंबई स्थित बैंक की एससीएफ शाखा से व्यवसायिक जरूरतों के लिए लगभग 450 करोड़ रुपये की क्रेडिट सीमा ली थी। किस्तों का भुगतान न होने के कारण इस खाते को 30 सितंबर 2019 को एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) घोषित कर दिया गया था।

