प्रारंभिक जांच में ‘ढिलाई’ पर बॉम्बे हाई कोर्ट सख्त, BNSS के पालन पर केंद्र से जवाब तलब

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कानून के प्रावधानों के प्रति “पूर्ण उपेक्षा” दिखाने और शिकायतों की प्रारंभिक जांच को “लेisurely” ढंग से महीनों तक लंबित रखने के लिए पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून के तहत प्रारंभिक जांच 14 दिनों के भीतर पूरी की जानी अनिवार्य है।

न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति रंजीतसिंह भोंसले की खंडपीठ ने पिछले सप्ताह पारित आदेश में कहा कि अदालत के समक्ष नियमित रूप से ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें पुलिस अधिकारी अपनी “मनमर्जी और स्वेच्छाचार” से प्रारंभिक जांच को अनावश्यक रूप से लंबा खींच रहे हैं।

अदालत कुंदन पाटिल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे उनके अधिवक्ता उदय वरुणजिकर ने दाखिल किया था। याचिका में अक्टूबर में मीरा रोड स्थित काशीमीरा पुलिस स्टेशन में दी गई शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई थी।

READ ALSO  Gujarat HC Issues Summons to BJP Legislator Vaghani on Plea Against His Election

सुनवाई के दौरान काशीमीरा पुलिस ने हलफनामा दाखिल कर अदालत को बताया कि शिकायत पर जांच अभी भी जारी है। पुलिस ने यह भी कहा कि अगस्त में याचिकाकर्ता के खिलाफ एक अलग शिकायत दर्ज की गई थी, जिसकी जांच भी अभी लंबित है।

खंडपीठ ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173(3)(i) का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रावधान पुलिस को केवल 14 दिनों की अवधि के भीतर प्रारंभिक जांच करने की अनुमति देता है, ताकि यह तय किया जा सके कि आगे कार्यवाही के लिए कोई प्रथमदृष्टया मामला बनता है या नहीं।

अदालत ने कहा, “पुलिस प्रारंभिक जांच के नाम पर महीनों तक जांच चलाती रहती है, जबकि कानून स्पष्ट रूप से इसे 14 दिनों के भीतर पूरा करने का आदेश देता है।”

READ ALSO  HC Accepts Nawab Malik’s Health Condition Is Serious; To Hear His Bail Plea From Next Week

खंडपीठ ने इसे कानून के प्रति “पूर्ण उपेक्षा” करार देते हुए टिप्पणी की कि या तो पुलिस इस तथ्य से अनभिज्ञ है कि भारत सरकार ने जुलाई 2024 में BNSS को अधिनियमित किया है, या फिर वह अनिवार्य प्रावधानों का जानबूझकर पालन नहीं कर रही है।

इन परिस्थितियों में हाई कोर्ट ने कहा कि वह यह जानना उचित समझती है कि क्या BNSS के प्रावधान सभी पुलिस थानों पर लागू होते हैं और यदि हां, तो उनका “सख्ती और ईमानदारी से” पालन क्यों नहीं किया जा रहा है।

READ ALSO  आतिशी ने दिल्ली हाईकोर्ट से केंद्र को ब्रिटेन की यात्रा के लिए मंजूरी देने का निर्देश देने की मांग की

मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को निर्धारित की गई है। अदालत ने केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित होने के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को निर्देश दिया है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles