दिल्ली हाईकोर्ट: हवाई किराया और होटल खर्च के भुगतान की शर्त पर गवाह से जिरह का ‘एक और केवल एक’ अंतिम अवसर मिला

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में प्रतिवादी को वादी के गवाह (PW1) से जिरह (Cross-examination) करने का एक अंतिम अवसर प्रदान किया है। हालांकि, कोर्ट ने इसके लिए सख्त शर्तें लगाई हैं, जिसके तहत याचिकाकर्ता को गवाह के यात्रा और ठहरने का पूरा खर्च उठाना होगा। न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ ने दोनों पक्षों की सहमति के आधार पर यह आदेश पारित किया, जबकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि निचली अदालत द्वारा जिरह का अधिकार बंद करने के आदेश में कोई कानूनी त्रुटि नहीं थी।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला डेकोर एक्सोइल्स प्रा. लि. बनाम मिस्टर जेफरी मूर से संबंधित है। याचिकाकर्ता (प्रतिवादी) ने निचली अदालत (Trial Court) के 21 अगस्त 2025 के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। निचली अदालत ने अपने आदेश के जरिए याचिकाकर्ता का गवाह (PW1) से जिरह करने का अधिकार बंद कर दिया था। इसी आदेश से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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दलीलें और कोर्ट का रुख

सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने पाया कि निचली अदालत के आदेश में कोई “कमी” (infirmity) नहीं थी। इसके बावजूद, प्रतिवादी/वादी के वकील मिस्टर जेफरी मूर ने मुकदमे के “त्वरित निपटान” (expeditious disposal) के हित में एक रियायत देने की इच्छा जताई।

प्रतिवादी के वकील ने कोर्ट के समक्ष कहा कि वे याचिकाकर्ता/प्रतिवादी को PW1 से जिरह पूरा करने के लिए “एक और केवल एक अवसर” (one and only one opportunity) देने के लिए सहमत हैं, लेकिन इसके लिए शर्त यह होगी कि गवाह को आने-जाने और रुकने का खर्च पहले ही दिया जाए। शर्त के अनुसार, PW1 को दो तारीखों के लिए रिटर्न हवाई किराया और कुल चार दिनों के होटल प्रवास का भुगतान अग्रिम रूप से किया जाना चाहिए।

फैसला और निर्देश

दोनों पक्षों की सहमति दर्ज करते हुए, हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा किया और गवाह के वित्तीय हितों की रक्षा करते हुए जिरह के लिए विशिष्ट निर्देश जारी किए।

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न्यायमूर्ति कठपालिया ने निम्नलिखित निर्देश दिए:

  1. उपस्थिति: दोनों पक्षों को 17.12.2025 को दोपहर 02:00 बजे निचली अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है। उस दिन निचली अदालत शेष जिरह को रिकॉर्ड करने के लिए अपनी सुविधा अनुसार तारीख तय करेगी।
  2. बिलों का प्रस्तुतीकरण: वादी (Respondent) के वकील को 18.10.2024 की पिछली यात्रा के रिटर्न हवाई टिकट और होटल बिल की प्रतियां 20.12.2025 या उससे पहले याचिकाकर्ता के वकील को सौंपनी होंगी।
  3. खर्चे का भुगतान: याचिकाकर्ता/प्रतिवादी के वकील को 25.12.2025 या उससे पहले निम्नलिखित राशि वादी के वकील को भेजनी होगी:
    • दिनांक 21.08.2025 (जब PW1 उपस्थित हुआ था) के लिए रिटर्न हवाई टिकट का खर्च।
    • जिरह की अगली तारीख के लिए रिटर्न हवाई टिकट का खर्च।
    • इन राशियों की गणना 18.10.2024 की यात्रा के लिए बुक किए गए टिकटों की लागत के आधार पर की जाएगी।
  4. आवास व्यय: कोर्ट ने स्पष्ट किया कि “याचिकाकर्ता/प्रतिवादी द्वारा वहन किए जाने वाले होटल के बिल केवल 21.08.2025 की यात्रा और PW1 की अगली यात्रा के लिए एक रात-दो दिनों के लिए होंगे।”
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हाईकोर्ट ने अपने आदेश में जोर देकर कहा कि याचिकाकर्ता को यह “एक और केवल एक अवसर” प्रदान किया गया है। आपसी सहमति के आधार पर याचिका और संबंधित आवेदनों का निपटारा कर दिया गया।

केस विवरण:

  • केस शीर्षक: डेकोर एक्सोइल्स प्रा. लि. बनाम मिस्टर जेफरी मूर
  • केस संख्या: CM(M) 2410/2025
  • कोरम: न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया
  • याचिकाकर्ता के वकील: श्री शिवेक त्रेहन और श्री ईशान कुमार
  • प्रतिवादी के वकील: श्री मयंक मैनी और श्री बिमन सेठी

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