IndiGo की लगातार जारी बड़े पैमाने पर उड़ान रद्दीकरण से परेशान लाखों यात्रियों की आवाज सोमवार को अदालतों तक पहुंची। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर दायर एक याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर 10 दिसंबर की तारीख तय की, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति को “गंभीर मामला” बताते हुए तत्काल हस्तक्षेप से इंकार कर दिया, यह कहते हुए कि केंद्र सरकार इस मामले पर कदम उठा चुकी है।
पायलटों की ड्यूटी और विश्राम समय से जुड़े नए नियामकीय बदलावों का हवाला देते हुए इंडिगो ने सोमवार को 500 उड़ानें रद्द कीं और 1,802 उड़ानों के संचालन की योजना बनाई थी, यह जानकारी नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दी।
देशभर के 95 हवाईअड्डों पर यात्री भारी देरी और अव्यवस्था का सामना कर रहे हैं। सिर्फ दिल्ली और बेंगलुरु से ही सोमवार को 250 से अधिक उड़ानें रद्द की गईं। दिल्ली से 134 (75 प्रस्थान और 59 आगमन) और बेंगलुरु से 117 (65 आगमन और 62 प्रस्थान) उड़ानें कैंसिल हुईं, सूत्रों ने बताया।
सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर त्वरित सुनवाई की मांग का उल्लेख किया गया। मुख्य न्यायाधीश सुर्या कांत ने कहा, “यह गंभीर मामला है। लाखों लोग हवाईअड्डों पर फंसे हुए हैं।”
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने “समय पर कदम उठाए हैं और स्थिति की संज्ञान लिया है”, इसलिए तत्काल सुनवाई नहीं की जाएगी।
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि “हम जानते हैं कि लोगों को स्वास्थ्य संबंधी और अन्य जरूरी मुद्दों के कारण यात्रा करनी होती है।”
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक अलग याचिका में सरकार और एयरलाइन को यात्रियों को रिफंड, सहायता और ग्राउंड सपोर्ट मुहैया कराने के निर्देश देने की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इस याचिका पर 10 दिसंबर को सुनवाई सूचीबद्ध की।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि “कई लोग हवाईअड्डों पर फंसे हैं, स्थिति अमानवीय है। रिफंड की कोई उचित व्यवस्था नहीं है और ग्राउंड सपोर्ट भी पर्याप्त नहीं है। उड़ानों के रद्द होने की जानकारी यात्रियों को समय से नहीं मिल रही।”
जब हाईकोर्ट ने पूछा कि सरकार ने इस मामले में कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं, तो वकील ने इसकी पुष्टि की, लेकिन उचित न्यायिक हस्तक्षेप की मांग दोहराई।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार, एयरलाइन ने कुल 9,000 बैग में से 4,500 यात्रियों को सौंप दिए हैं और बाकी बैग 36 घंटे में दे दिए जाएंगे।
2 दिसंबर से लगातार उड़ान रद्द होने के बाद यात्रियों में गहरा असंतोष है। एयरलाइन का कहना है कि पायलटों की ड्यूटी और आराम संबंधी नए नियमों के चलते परिचालन प्रभावित हुआ है।
त्योहारी और यात्रा सीजन के बीच यह संकट बड़ी परेशानियों का कारण बना हुआ है और लाखों लोग अब भी वैकल्पिक व्यवस्थाओं की तलाश में हैं। अदालतों में सुनवाई और केंद्र की निगरानी के बीच इस संकट का समाधान कितनी जल्दी निकलता है, इस पर यात्रियों की नजरें टिकी हैं।

