सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दिए गए तलाक के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा है कि पति-पत्नी के बीच का विवाह “सुधार से परे टूट चुका” (Broken down beyond repair) है। विवाह विच्छेद की पुष्टि करते हुए, शीर्ष अदालत ने अपीलकर्ता-पत्नी को दी जाने वाली ‘स्थायी गुजारा भत्ता’ (Permanent Alimony) की राशि को 30 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिवादी-पति एक सेवारत न्यायिक अधिकारी हैं, इसलिए अपनी अलग रह रही पत्नी और बेटी की उचित वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन पर “बढ़ी हुई जिम्मेदारी” (Heightened obligation) है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने टिप्पणी की कि “वैवाहिक बंधन को जारी रखने से न तो जीवनसाथी और न ही उनके बच्चे का कोई भला होगा; बल्कि यह केवल शत्रुता को बढ़ाएगा और उन्हें गरिमा के साथ आगे बढ़ने से रोकेगा।”
मामले की पृष्ठभूमि
यह अपील (सिविल अपील संख्या 14856 ऑफ 2024) पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 28 अगस्त, 2024 के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी।
पक्षकारों का विवाह 6 दिसंबर, 2008 को हुआ था। विवाह के समय, प्रतिवादी-पति एक न्यायिक अधिकारी के रूप में प्रशिक्षण ले रहे थे, जबकि अपीलकर्ता-पत्नी एक अतिरिक्त महाधिवक्ता (Additional Advocate General) के रूप में वकालत कर रही थीं। 13 नवंबर, 2009 को उनकी एक बेटी का जन्म हुआ। यह दंपति 2012 से अलग रह रहा है, यानी उनके अलगाव को तेरह वर्ष से अधिक समय हो चुका है।
कानूनी लड़ाई तब शुरू हुई जब प्रतिवादी-पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(ia) के तहत ‘क्रूरता’ के आधार पर तलाक की याचिका दायर की। हालांकि एस.ए.एस. नगर, मोहाली की फैमिली कोर्ट ने 11 अप्रैल, 2023 को याचिका खारिज कर दी थी, यह मानते हुए कि क्रूरता का आरोप साबित नहीं हुआ और इसके विपरीत प्रतिवादी-पति ने ही पत्नी के साथ क्रूरता की थी। बाद में, हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया। हाईकोर्ट ने तलाक की डिक्री प्रदान की और 30 लाख रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता दिया, यह देखते हुए कि पार्टियों का साथ रहना अब उनके हित में नहीं है।
कोर्ट का विश्लेषण और टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों के साथ बातचीत करने और रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद यह नोट किया कि “वर्षों से यह रिश्ता गहरा कड़वाहट और कटुतापूर्ण हो गया है।” कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस विचार की पुष्टि की कि शादी अब “असाध्य रूप से टूट” (Irretrievably broken down) चुकी है।
पीठ के लिए फैसला लिखते हुए जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा:
“इन परिस्थितियों में, हमें उस कानूनी बंधन को बनाए रखने का कोई उद्देश्य नहीं दिखता जिसका सार बहुत पहले ही समाप्त हो चुका है… इसलिए हम इस विचार की पुष्टि करते हैं कि विवाह सुधार से परे टूट चुका है, और इसका विघटन न्याय के हित में और सभी संबंधितों के कल्याण में है।”
कोर्ट ने दंपति की सत्रह वर्षीय बेटी के कल्याण को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि कानूनी बंधन को जबरदस्ती थोपने से केवल “शत्रुता लंबी होगी और गरिमा के साथ आगे बढ़ने की उनकी क्षमता बाधित होगी।”
स्थायी गुजारा भत्ता (Permanent Alimony) में वृद्धि
तलाक को बरकरार रखते हुए, कोर्ट ने पाया कि हाईकोर्ट द्वारा दी गई गुजारा भत्ता राशि प्रतिवादी-पति की स्थिति को देखते हुए अपर्याप्त थी। कोर्ट ने नोट किया कि प्रतिवादी वर्तमान में एक फैमिली कोर्ट जज के रूप में तैनात हैं और एक जिम्मेदार सार्वजनिक पद पर हैं।
पीठ ने कहा:
“प्रतिवादी-पति एक जिम्मेदार सार्वजनिक पद पर आसीन सेवारत न्यायिक अधिकारी हैं और इसलिए, अपनी पत्नी और बेटी के लिए निष्पक्ष, पर्याप्त और सम्मानजनक वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन पर एक बढ़ी हुई जिम्मेदारी (Heightened obligation) है।”
नतीजतन, सुप्रीम कोर्ट ने स्थायी गुजारा भत्ता बढ़ाकर 50,00,000/- रुपये (पचास लाख रुपये) कर दिया और निर्देश दिया कि यह राशि तीन महीने के भीतर अदा की जाए। इस राशि को विवाह से उत्पन्न होने वाले “सभी मौद्रिक और अन्य दावों का पूर्ण और अंतिम निपटान” घोषित किया गया, जिससे पार्टियों के बीच सभी लंबित दीवानी और आपराधिक कार्यवाही समाप्त हो जाएंगी।
बेटी के संबंध में निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बेटी के लाभ के लिए हाईकोर्ट द्वारा जारी विशिष्ट वित्तीय निर्देशों को भी बरकरार रखा:
- एलआईसी पॉलिसी परिपक्वता: प्रतिवादी-पति द्वारा खरीदी गई एलआईसी पॉलिसी की पूरी परिपक्वता राशि, लगभग 41,00,000/- रुपये, बेटी के खाते में जमा की जाएगी।
- मासिक भरण-पोषण: प्रतिवादी-पति द्वारा बेटी के खाते में 30,000/- रुपये प्रतिमाह तब तक जमा किए जाएंगे जब तक वह अपना भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं हो जाती।
- विवाह का खर्च: प्रतिवादी-पति बेटी की शादी का पूरा खर्च वहन करेंगे।
- उत्तराधिकार: प्रतिवादी-पति को अपनी बेटी को अपनी संपत्ति से बेदखल करने से प्रतिबंधित किया गया है।

