नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक राज्य द्वारा दायर अपीलों को खारिज करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें कहा गया था कि छात्रों और कामकाजी पेशेवरों के लिए हॉस्टल (Hostel) के रूप में उपयोग करने के लिए पट्टे (Lease) पर दी गई रिहायशी संपत्ति पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) से छूट मिलेगी।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि नोटिफिकेशन नंबर 9/2017-इंटीग्रेटेड टैक्स (रेट) दिनांक 28.06.2017 की एंट्री 13 के तहत मिलने वाली छूट “गतिविधि विशिष्ट” (Activity Specific) है, न कि “व्यक्ति विशिष्ट” (Person Specific)। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि छूट का लाभ तब भी मिलेगा, भले ही पट्टेदार (Lessee/एग्रीगेटर) खुद उस परिसर का उपयोग अपने आवास के लिए न कर रहा हो, बशर्ते संपत्ति का अंतिम उपयोग ‘आवास’ (Residence) के रूप में हो रहा हो।
कोर्ट के समक्ष मुख्य कानूनी सवाल यह था कि क्या प्रतिवादी (मकान मालिक) द्वारा एक कंपनी को रिहायशी परिसर पट्टे पर देने की सेवा, जो आगे इसे छात्रों और पेशेवरों को हॉस्टल के रूप में देती है, नोटिफिकेशन नंबर 9/2017 की एंट्री 13 (जुलाई 2022 के संशोधन से पहले) के दायरे में आती है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (AAR) और अपीलीय अथॉरिटी (AAAR) के उन फैसलों को खारिज कर दिया जिन्होंने छूट देने से इनकार किया था, और हाईकोर्ट के रुख की पुष्टि की।
मामले की पृष्ठभूमि (Background)
प्रतिवादी नंबर 1, जो बैंगलोर में 42 कमरों वाली एक रिहायशी संपत्ति का सह-मालिक है, ने 21 जून 2019 को मेसर्स डीट्वेल्व स्पेसेस प्राइवेट लिमिटेड (M/s DTwelve Spaces Private Limited) के पक्ष में एक लीज डीड निष्पादित की। पट्टेदार (Lessee) ने इस संपत्ति का उपयोग छात्रों और कामकाजी पेशेवरों को लंबी अवधि के हॉस्टल आवास उपलब्ध कराने के लिए किया।
प्रतिवादी ने अग्रिम निर्णय (Advance Ruling) मांगा था कि क्या पट्टेदार से प्राप्त किराया नोटिफिकेशन नंबर 9/2017 की एंट्री 13 के तहत GST से मुक्त है, जो “निवास के रूप में उपयोग के लिए रिहायशी आवास (Residential Dwelling) को किराए पर देने की सेवाओं” को छूट देता है।
- AAR और AAAR का फैसला: दोनों प्राधिकरणों ने यह कहते हुए छूट देने से इनकार कर दिया था कि पट्टेदार (एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी) खुद उस परिसर का उपयोग अपने आवास के लिए नहीं कर रहा था, और हॉस्टल आवास “सामाजिक आवास” (Sociable Accommodation) के समान था।
- हाईकोर्ट का फैसला: कर्नाटक हाईकोर्ट ने प्रतिवादी की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि नोटिफिकेशन में यह शर्त नहीं है कि पट्टेदार को व्यक्तिगत रूप से निवास के रूप में परिसर का उपयोग करना चाहिए। कोर्ट ने माना कि छात्रों और पेशेवरों के लिए हॉस्टल “रिहायशी आवास” (Residential Dwelling) की श्रेणी में आता है।
रेवेन्यू (कर्नाटक राज्य) ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
पक्षों की दलीलें (Arguments)
रेवेन्यू (सरकार) की दलीलें: रेवेन्यू के वकील श्री वी. चंद्रशेखर भारती ने तर्क दिया कि छूट लागू होने के लिए तीन शर्तें एक साथ पूरी होनी चाहिए:
- किराए पर देने की सेवा की आपूर्ति।
- वह संपत्ति एक ‘रिहायशी आवास’ होनी चाहिए।
- उस आवास का उपयोग ‘निवास’ (Residence) के रूप में होना चाहिए।
रेवेन्यू का तर्क था कि मकान मालिक और पट्टेदार (जो लाभ कमाने वाली एक वाणिज्यिक इकाई है) के बीच का लेनदेन पूरी तरह से व्यावसायिक था। पट्टेदार खुद संपत्ति का उपयोग निवास के रूप में नहीं कर रहा था, इसलिए “पहले लेनदेन” (मकान मालिक से पट्टेदार) पर छूट नहीं मिलनी चाहिए।
प्रतिवादी की दलीलें: प्रतिवादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री अरविंद पी. दातार ने तर्क दिया:
- पट्टेदार एक एग्रीगेटर है जो रिहायशी आवास की सुविधा प्रदान करता है।
- केवल इसलिए छूट से इनकार करना क्योंकि पट्टेदार एक कंपनी है, एंट्री 13 को फिर से लिखने जैसा होगा।
- संपत्ति का अंतिम उपयोग छात्रों और कामकाजी महिलाओं द्वारा निवास के लिए किया जा रहा है।
- संपत्ति सभी शर्तों को पूरा करती है: यह एक रिहायशी आवास है, इसे किराए पर दिया गया है, और इसका उपयोग निवास के लिए हो रहा है।
कोर्ट का विश्लेषण (Court’s Analysis)
1. “रिहायशी आवास” (Residential Dwelling) की परिभाषा कोर्ट ने नोट किया कि GST अधिनियम में “रिहायशी आवास” को परिभाषित नहीं किया गया है। सर्विस टैक्स व्यवस्था के तहत जारी एजुकेशन गाइड और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले (Bandu Ravji Nikam केस) का हवाला देते हुए, कोर्ट ने कहा:
“निस्संदेह, ‘हॉस्टल’ छात्रों के रहने या ठहरने के घर के अलावा और कुछ नहीं है… जैसा कि वर्तमान मामले में है, ‘छात्र हॉस्टल’ का उपयोग सोने, खाने, पढ़ाई आदि के लिए किया जाना था, इसलिए इसे ‘गैर-रिहायशी’ (non-residential) उपयोग के रूप में वर्णित नहीं किया जा सकता…”
बेंच ने निष्कर्ष निकाला कि लंबी अवधि के प्रवास के लिए बने 42 कमरों वाली संपत्ति ‘रिहायशी आवास’ के रूप में योग्य है।
2. एंट्री 13 की व्याख्या कोर्ट ने रेवेन्यू के इस तर्क को खारिज कर दिया कि पट्टेदार को खुद संपत्ति का उपयोग निवास के रूप में करना चाहिए। कोर्ट ने कहा:
“छूट अधिसूचना की एंट्री 13 यह अनिवार्य नहीं करती है कि पट्टेदार को रिहायशी आवास का उपयोग अपने स्वयं के निवास के रूप में करना चाहिए। कोई अन्य व्याख्या करने का अर्थ एंट्री 13 में एक अतिरिक्त शर्त जोड़ना होगा।”
3. उद्देश्यपूर्ण व्याख्या (Purposive Interpretation) ‘उद्देश्यपूर्ण व्याख्या’ के सिद्धांत को लागू करते हुए, कोर्ट ने जोर दिया कि विधायी मंशा किराए की संपत्तियों को GST के बोझ से मुक्त रखने की थी जब उनका उपयोग निवास के लिए किया जाता है।
“एंट्री 13 की संकीर्ण व्याख्या करने से… अंततः विधायी मंशा विफल हो जाएगी… दूसरे शब्दों में, इस छूट क्लॉज के पीछे विधायी मंशा यह है कि निवास के रूप में उपयोग की जाने वाली किराए की संपत्ति पर 18% GST या IGST का बोझ नहीं पड़ना चाहिए।”
कोर्ट ने नोट किया कि यदि मकान मालिक और पट्टेदार के बीच लेनदेन पर 18% GST लगाया जाता है, तो अंततः इसका बोझ छात्रों और कामकाजी पेशेवरों पर पड़ेगा, जो छूट के उद्देश्य को विफल कर देगा।
4. गतिविधि विशिष्ट छूट (Activity Specific Exemption) कोर्ट ने GST व्यवस्था के तहत छूट की प्रकृति को स्पष्ट किया:
“उपरोक्त के अलावा, यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि एंट्री 13 के तहत परिकल्पित छूट एक गतिविधि विशिष्ट छूट (activity specific exemption) है, न कि व्यक्ति विशिष्ट छूट (person specific exemption)।”
5. 2022 का संशोधन पूर्वव्यापी नहीं (Not Retrospective) कोर्ट ने माना कि एंट्री 13 को 18.07.2022 से संशोधित किया गया था ताकि उन मामलों को बाहर रखा जा सके जहां रिहायशी आवास एक “पंजीकृत व्यक्ति” (Registered Person) को किराए पर दिया जाता है। हालांकि, कोर्ट ने कहा:
“इन अपीलों के माध्यम से, रेवेन्यू वास्तव में 2022 में किए गए संशोधन को पूर्वव्यापी प्रभाव (retrospective application) देने की कोशिश कर रहा है, जो कि अस्वीकार्य है।”
निर्णय (Decision)
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि संबंधित अवधि (2019-2022) के लिए, प्रतिवादी ने एंट्री 13 की सभी शर्तों को पूरा किया है।
“उपरोक्त चर्चा के मद्देनजर, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हमें हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय और आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। परिणामस्वरूप, दोनों अपीलें विफल होती हैं और उन्हें खारिज किया जाता है।”
कोर्ट ने पुष्टि की कि छात्रों और कामकाजी पेशेवरों द्वारा हॉस्टल/निवास के रूप में उपयोग के लिए एग्रीगेटर को रिहायशी आवास किराए पर देना संबंधित अवधि के लिए GST से मुक्त है।

