दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को टेक दिग्गज एप्पल इंक (Apple Inc.) की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कंपनी ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के एक निर्देश और कंपटीशन एक्ट में हुए नए संशोधनों को चुनौती दी है। मामला कंपनियों पर लगाए जाने वाले जुर्माने की गणना से जुड़ा है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और CCI को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जज तुषार राव गेदेला की बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे 16 दिसंबर को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
एप्पल ने अपनी याचिका में कंपटीशन एक्ट, 2002 में हुए उस संशोधन का विरोध किया है, जिसके तहत CCI को यह अधिकार मिल गया है कि वह किसी कंपनी के ‘ग्लोबल टर्नओवर’ (वैश्विक कारोबार) के आधार पर जुर्माना लगा सकता है।
संशोधित कानून के मुताबिक, अगर कोई कंपनी प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों या बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति (Dominance) के दुरुपयोग की दोषी पाई जाती है, तो उस पर पिछले तीन वित्तीय वर्षों के औसत टर्नओवर का 10% तक जुर्माना लगाया जा सकता है। एप्पल का तर्क है कि पहले यह जुर्माना केवल ‘संबंधित उत्पाद’ या ‘संबंधित बाजार’ (जैसे भारत) से होने वाली कमाई पर लगता था, लेकिन अब इसमें पूरी दुनिया से होने वाली कमाई को शामिल कर लिया गया है।
एप्पल ने कोर्ट को बताया कि नए नियमों के तहत अगर उस पर कार्रवाई होती है, तो वित्तीय वर्ष 2022 से 2024 के उसके औसत वैश्विक टर्नओवर का 10% हिस्सा बतौर जुर्माना देना पड़ सकता है। कंपनी के मुताबिक, यह राशि लगभग 38 अरब डॉलर (USD 38 Billion) हो सकती है, जो अत्यधिक और अनुचित है।
सुनवाई के दौरान बेंच ने सरकार से सवाल किया कि अगर किसी कंपनी के एक प्रोडक्ट में गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसके बाकी प्रोडक्ट्स के टर्नओवर पर जुर्माना कैसे लगाया जा सकता है?
कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, “हमें प्रथम दृष्टया यह बताएं कि अगर CCI किसी एक उत्पाद के संबंध में कार्यवाही शुरू करता है, तो आप अन्य उत्पादों के टर्नओवर को इसमें कैसे शामिल कर सकते हैं? क्या अन्य उत्पादों को शामिल करना बहुत अनुचित नहीं लगता?”
एप्पल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि एक मल्टी-प्रोडक्ट कंपनी के लिए वैश्विक टर्नओवर के आधार पर जुर्माना लगाना “मनमाना, असंवैधानिक और पूरी तरह से अनुपातहीन” है। उन्होंने कहा कि अधिकारी 8 दिसंबर तक भारत के टर्नओवर का विवरण मांग रहे हैं, जिसे इतने कम समय में जुटाना संभव नहीं है।
दूसरी ओर, सरकार और CCI का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने कहा कि एप्पल जांच को रोकने की कोशिश कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘ग्लोबल टर्नओवर’ का प्रावधान उन कंपनियों के लिए लाया गया है जिनका भारत में कोई आधार (Base) नहीं है, ताकि वे कानून की पकड़ से बाहर न रहें। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल कंपनी से केवल भारत का टर्नओवर मांगा गया है, न कि वैश्विक।
कोर्ट ने केंद्र और CCI को अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने का समय दिया है। अब इस मामले की विस्तृत सुनवाई 16 दिसंबर को होगी, जहां यह तय होगा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर जुर्माने का आधार क्या होना चाहिए।

