सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और अन्य पक्षों से जवाब मांगा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि हरियाणा के महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू), रोहतक में महिला सफाईकर्मियों से यह साबित करने के लिए उनके निजी अंगों की तस्वीरें मांगी गईं कि वे मासिक धर्म में हैं।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस राम मोहन महादेवन की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए इस तरह की मानसिकता पर कठोर टिप्पणी की।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “यह सोच दर्शाती है कि मानसिकता क्या है। कर्नाटक में पीरियड लीव दी जा रही है। इसे पढ़कर लगा कि क्या वहां भी लीव देने के लिए सबूत मांगा जाएगा?”
उन्होंने आगे कहा, “अगर किसी की अनुपस्थिति में भारी काम नहीं हो पाया तो किसी और को लगाया जा सकता था। हमें उम्मीद है कि इस याचिका में कुछ अच्छा होगा।”
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि यह “गंभीर आपराधिक मामला” है और इसकी तुरंत जांच होनी चाहिए।
इस मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी। याचिका में केंद्र और हरियाणा सरकार को विस्तृत जांच करने और ऐसे दिशा-निर्देश बनाने की मांग की गई है ताकि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य, गरिमा, शारीरिक स्वायत्तता और गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन न हो।
पुलिस के अनुसार, एमडीयू से जुड़े तीन लोगों के खिलाफ 31 अक्टूबर को यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया था, जब तीन महिला सफाईकर्मियों ने आरोप लगाया कि उनसे पीरियड साबित करने के लिए निजी अंगों की तस्वीरें देने को कहा गया।
विश्वविद्यालय ने बयान जारी कर कहा कि हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड के जरिए अनुबंध पर नियुक्त दो पर्यवेक्षकों को निलंबित कर दिया गया है और आंतरिक जांच के आदेश दिए गए हैं।
यह घटना 26 अक्टूबर को हुई, ठीक कुछ घंटे पहले जब हरियाणा के राज्यपाल असीम कुमार घोष विश्वविद्यालय परिसर के दौरे पर आने वाले थे।
शिकायत में महिलाओं ने कहा कि उन्होंने अपने “पीरियड की वजह से अस्वस्थ” होने की बात कही थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें साफ-सफाई करने के लिए मजबूर किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया, “हमने कहा कि तबीयत ठीक नहीं है इसलिए तेज़ी से काम नहीं हो पा रहा, तो उन्होंने कहा कि फ़ोटो लेकर दिखाओ कि पीरियड चल रहा है। जब हमने इनकार किया, तो गालियां दीं और नौकरी से निकालने की धमकी दी।”
महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि पर्यवेक्षकों ने कहा कि वे सहायक रजिस्ट्रार श्याम सुंदर के निर्देश पर ऐसा कर रहे हैं।
सुंदर ने इन आरोपों से इनकार किया है।
पीजीआईएमएस थाना प्रभारी ने बताया कि एफआईआर में आपराधिक धमकी, यौन उत्पीड़न, महिला की मर्यादा का अपमान और बल प्रयोग जैसी धाराएं शामिल की गई हैं।
उन्होंने कहा कि आरोपी पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है।




