झारखंड हाई कोर्ट ने गुरुवार को राज्य के सभी जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (DLSA) के अध्यक्षों को निर्देश दिया कि वे जेलों में अचानक निरीक्षण कर कैदियों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता का आकलन करें।
न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने यह आदेश एक आपराधिक अपील की सुनवाई के दौरान दिया, जो आकाश कुमार रॉय द्वारा दायर की गई थी। अदालत ने कहा कि कैदियों को दिया जाने वाला भोजन जेल मैनुअल में निर्धारित मानकों के अनुरूप होना चाहिए और किसी भी प्रकार की विचलन या अनियमितता के लिए संबंधित जेलर जिम्मेदार होगा।
पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि निरीक्षण के दौरान कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो संबंधित जेल अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी।
सुनवाई के दौरान बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अधीक्षक सुधार्शन मुर्मू और जेलर लौकुश कुमार अदालत में उपस्थित थे। दोनों अधिकारियों ने अदालत को आश्वस्त किया कि भोजन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और अब भोजन जेल मैनुअल के अनुसार ही परोसा जा रहा है।
राज्य सरकार ने अदालत को यह भी बताया कि जेल कैंटीन के संचालन के लिए एक समिति गठित कर दी गई है। पीठ ने इस समिति को जेलर की निगरानी में कैंटीन चलाने की अनुमति दे दी।
जेल निगरानी को सख्त करने के लिए, अदालत ने राज्य के सभी DLSA अधिकारियों को अपने-अपने जिलों में स्थित जेलों का दौरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
इस मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।




