दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि इंडियन कोस्ट गार्ड के सभी अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु समान रूप से 60 वर्ष होगी। कोर्ट ने विभिन्न रैंकों के लिए अलग-अलग रिटायरमेंट आयु निर्धारित करने वाले नियम को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति सी. हरीशंकर और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया जो कोस्ट गार्ड के ऐसे अधिकारियों ने दायर की थीं, जो याचिका दायर किए जाने के समय सेवा में थे लेकिन नियमों के अनुसार 57 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त कर दिए गए।
विवादित कोस्ट गार्ड (जनरल) नियम, 1986 के नियम 20(1) और 20(2) के तहत कमांडेंट और उससे नीचे के रैंक के अधिकारी 57 वर्ष में रिटायर होते थे, जबकि उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष निर्धारित थी। अदालत ने इस वर्गीकरण को मनमाना और संविधान के समता के सिद्धांत के खिलाफ माना।
कोर्ट ने कहा,
“कमांडेंट के रैंक और उससे नीचे के अधिकारियों तथा उससे ऊपर के अधिकारियों के बीच सेवानिवृत्ति आयु में अंतर निर्धारित करने के लिए कोई ऐसा कारक सामने नहीं आता जो इस वर्गीकरण का तार्किक संबंध दिखाए। इसलिए हम बाध्य हैं कि 1986 के नियमों के नियम 20(1) और 20(2) को, अलग-अलग सुपरएनुएशन आयु निर्धारित करने की सीमा तक, असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन घोषित करें।”
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि यह नियम संवैधानिक कसौटी पर खरे नहीं उतरते और आदेश दिया कि कोस्ट गार्ड के सभी अधिकारियों पर 60 वर्ष की एक समान सेवानिवृत्ति आयु लागू होगी।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि वरिष्ठ अधिकारियों को 60 वर्ष में और बाकी अधिकारियों को 57 वर्ष में रिटायर करना “भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक” है। हाईकोर्ट ने इस तर्क से सहमति जताई।
केंद्र सरकार ने नियम का बचाव करते हुए कहा था कि कोस्ट गार्ड एक समुद्री सेवा है, जिसमें ‘यंग ऐज प्रोफाइल’ और तैरते प्लेटफॉर्म व एविएशन प्लेटफॉर्म पर तैनाती के लिए पूरी तरह फिट कर्मियों की आवश्यकता होती है। हालांकि, अदालत ने माना कि सरकार यह नहीं दिखा सकी कि ये कारण रैंकों के बीच रिटायरमेंट आयु में अंतर को उचित कैसे ठहराते हैं।
कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि इससे पहले सीमा सुरक्षा बल (BSF), CRPF, ITBP और SSB में भी इसी तरह का मुद्दा उठा था, जिसमें एक डिवीजन बेंच ने भिन्न सेवानिवृत्ति आयु को असंवैधानिक बताते हुए नियम को खारिज कर लागू करने का निर्देश दिया था। हालांकि, वर्तमान मामले में अदालत ने स्पष्ट किया कि कोस्ट गार्ड CAPF का हिस्सा नहीं है और इसलिए अलग से संवैधानिक जांच आवश्यक थी।
इस फैसले के बाद अब कोस्ट गार्ड के सभी अधिकारी — रैंक की परवाह किए बिना — 60 वर्ष की उम्र तक सेवा कर सकेंगे। अदालत ने इसे अन्यायपूर्ण और भेदभावपूर्ण सेवानिवृत्ति व्यवस्था को समाप्त करने की दिशा में आवश्यक कदम बताया।




