सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक बदलाव के तहत, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत अब पांच सदस्यीय कॉलेजियम का नेतृत्व करेंगे। यह बदलाव रविवार, 23 नवंबर को पूर्व CJI बी.आर. गवई के सेवानिवृत्त होने के बाद हुआ है। जस्टिस गवई के रिटायरमेंट के साथ ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का पुनर्गठन अनिवार्य हो गया था।
कॉलेजियम प्रणाली ही वह व्यवस्था है जिसके जरिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति और तबादले किए जाते हैं। इस पुनर्गठन के साथ ही शीर्ष अदालत के प्रशासनिक ढांचे में एक नए दौर की शुरुआत हुई है।
5 सदस्यीय कॉलेजियम का नया स्वरूप
सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति और हाईकोर्ट के जजों के तबादले का फैसला लेने वाले पांच सदस्यीय कॉलेजियम की अध्यक्षता अब CJI सूर्य कांत करेंगे। उनके अलावा, इस प्रभावशाली पैनल में चार अन्य वरिष्ठतम जज शामिल होंगे:
- जस्टिस विक्रम नाथ
- जस्टिस बी.वी. नागरत्ना
- जस्टिस जे.के. माहेश्वरी
- जस्टिस एम.एम. सुंदरेश
हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के लिए 3 सदस्यीय कॉलेजियम
देश भर के विभिन्न हाईकोर्ट्स में जजों की नियुक्ति की जिम्मेदारी संभालने वाले तीन सदस्यीय कॉलेजियम में भी बदलाव हुआ है। इस पैनल में अब निम्नलिखित सदस्य शामिल होंगे:
- CJI सूर्य कांत
- जस्टिस विक्रम नाथ
- जस्टिस बी.वी. नागरत्ना
भविष्य के बदलाव और कार्यकाल
CJI सूर्य कांत का मुख्य न्यायाधीश के रूप में लगभग 15 महीने का कार्यकाल होगा। वर्तमान वरिष्ठता क्रम और रिटायरमेंट शेड्यूल को देखते हुए, उम्मीद है कि इस अवधि के दौरान कॉलेजियम का स्वरूप काफी हद तक स्थिर रहेगा।
कॉलेजियम में अगला बड़ा बदलाव 28 जून, 2026 को देखने को मिलेगा, जब जस्टिस जे.के. माहेश्वरी रिटायर होंगे। उनकी जगह पर जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा कॉलेजियम के सदस्य बनेंगे। इसके बाद, जब CJI सूर्य कांत का कार्यकाल समाप्त होगा, तब जस्टिस जे.बी. पारदीवाला कॉलेजियम में प्रवेश करेंगे।
क्या है कॉलेजियम सिस्टम?
कॉलेजियम प्रणाली जजों की नियुक्ति और उनके तबादले की एक प्रक्रिया है, जिसका विकास सुप्रीम कोर्ट के फैसलों (विशेष रूप से “थ्री जजेज केस”) के माध्यम से हुआ है। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि न्यायपालिका में नियुक्तियों के मामले में जजों की राय को प्राथमिकता दी जाए।




