इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2017 के दुष्कर्म मामले में चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है। अदालत ने पाया कि मुख्य आरोपी ने पीड़िता से कई वर्ष पहले विवाह कर लिया था और दोनों अपने बच्चे के साथ सुखपूर्वक साथ रह रहे हैं। न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह ने आरोपी वसीउल्लाह और दो अन्य द्वारा सेंट कबीर नगर की ट्रायल कोर्ट में लंबित मामले को रद्द करने की याचिका को स्वीकार किया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा:
“वर्तमान मामले में आवेदक संख्या 1 और पीड़िता ने विवाह संस्कार किया है, उनके दांपत्य से एक बालक का जन्म हुआ है, और वे पिछले कई वर्षों से सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहे हैं।”
कोर्ट ने यह भी रिकॉर्ड किया कि प्रथम सूचनाकर्ता सहित सभी पक्षों के बीच उच्च न्यायालय के मध्यस्थता केंद्र में समझौता हो चुका है।
“यदि इस कोर्ट द्वारा ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को रद्द नहीं किया जाता, तो आवेदक संख्या 1, पीड़िता और उनके परिवार के सदस्यों को कानूनी क्षति हो सकती है,” अदालत ने कहा।
परिस्थिति में आए बदलाव को ध्यान में रखते हुए अदालत ने अभियोजन जारी रखने को निरर्थक बताया:
“घटी पश्चातवर्ती परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में, आवेदकों द्वारा यदि कोई अपराधिता की गई भी थी, तो अब वह धुल चुकी है। अतः अभियोजन की कार्यवाही को आगे बढ़ाने से कोई उपयोगी उद्देश्य साध्य नहीं होगा।”
यह FIR जनवरी 2017 में सेंट कबीर नगर के बखिरा थाने में दर्ज की गई थी। शिकायत में पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी नाबालिग पुत्री को आवेदक संख्या 1 बहला-फुसलाकर ले गया।
पीड़िता की बरामदगी के बाद उसने धारा 161 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत बयान दिया कि वह अपनी मर्जी से आरोपी के साथ गई थी और वह बालिग थी।
मुकदमे की लंबित अवधि के दौरान आवेदक और पीड़िता ने विवाह कर लिया। अगस्त 2018 में उनके पुत्र का जन्म हुआ।




