दिल्ली दंगों की जांच पर स्टेटस रिपोर्ट पेश करें: दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा, छह साल से लंबित याचिकाओं पर जताई नाराज़गी

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों की जांच की स्थिति बताने का निर्देश शहर पुलिस को दिया। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि वैकल्पिक कानूनी उपाय उपलब्ध होने के बावजूद याचिकाकर्ताओं ने छह साल में उसका सहारा नहीं लिया।

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ दंगों से जुड़े याचिका-पैकेज पर सुनवाई कर रही थी। इनमें कथित भड़काऊ भाषणों को लेकर राजनीतिक नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने, विशेष जांच दल (SIT) गठन और स्वतंत्र जांच की मांगें शामिल हैं।

सुनवाई के दौरान, एक याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को दंगों में हुई मौतों के बारे में बताया। इस पर पीठ ने कहा कि एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं और पुलिस जांच कर रही है। “जब जांच जारी है तो इन याचिकाओं में कुछ नहीं बचता,” अदालत ने मौखिक रूप से कहा।

वकील ने दावा किया कि पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर रही और अदालत से स्वतंत्र जांच का आदेश मांगा। इस पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि ऐसा विवाद मजिस्ट्रेट के समक्ष उठाया जाना चाहिए।

READ ALSO  अभियुक्त केवल इसलिए डिफ़ॉल्ट जमानत नहीं मांग सकता क्योंकि चार्जशीट मंजूरी के बिना दायर की गई है: सुप्रीम कोर्ट

अदालत ने कहा, “आप इसे मजिस्ट्रेट के सामने चुनौती दें। मजिस्ट्रेट निगरानी करेगा। ये तथ्यात्मक प्रश्न हैं। हाईकोर्ट रिट याचिका में तथ्यात्मक विवादों की जांच नहीं कर सकता। आप अपना सबूत मजिस्ट्रेट को दें, वह उस पर आदेश पारित करेगा।”

पीठ ने यह भी कहा कि छह साल में वैकल्पिक उपाय का उपयोग न करना याचिकाकर्ताओं की तरफ से लापरवाही दर्शाता है। “ये याचिकाएँ इतने समय से बिना किसी उचित कारण के लंबित हैं,” अदालत ने कहा।

अदालत ने मामले को 21 नवंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए दिल्ली पुलिस के वकील से जांच की स्थिति और दर्ज एफआईआर की संख्या रिपोर्ट करने को कहा।

हाईकोर्ट के समक्ष दंगों को लेकर कई याचिकाएँ लंबित हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • शेख मुजतबा फारूक की याचिका जिसमें बीजेपी नेताओं अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषणों पर एफआईआर की मांग की गई है।
  • लॉयर्स वॉयस की याचिका जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष सिसोदिया, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, AIMIM नेताओं अकबरुद्दीन ओवैसी और वॉरिस पठान, कार्यकर्ता मेहमूद प्राचा, हर्ष मंडर, स्वरा भास्कर, उमर खालिद, पूर्व बॉम्बे हाईकोर्ट जज बीजी कोलसे पाटिल सहित अन्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
  • जमीअत उलेमा-ए-हिंद की एसआईटी गठन की मांग वाली जनहित याचिका।
  • अजय गौतम की याचिका जिसमें नागरिकता संशोधन कानून (CAA) विरोध प्रदर्शनों के पीछे कथित “राष्ट्रविरोधी ताकतों” का पता लगाने के लिए यूएपीए के तहत एनआईए जांच की मांग की गई है।
READ ALSO  जोखिमों की जानकारी न देना नजरअंदाज नहीं किया जा सकता: मेडिकल लापरवाही मामले में एनसीडीआरसी ने ₹75 लाख मुआवजे का आदेश दिया

दिल्ली पुलिस पहले ही अदालत को बता चुकी है कि क्राइम ब्रांच के तहत तीन एसआईटी बनाई गई हैं और अब तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला कि उसके अधिकारी या राजनीतिक नेता दंगों में शामिल थे या उन्होंने लोगों को उकसाया।

पुलिस का कहना है कि हिंसा कोई आकस्मिक घटना नहीं थी, बल्कि समाज की “सौहार्द्र व्यवस्था को अस्थिर करने की सुनियोजित साज़िश” थी। पुलिस ने दावा किया कि उसने दंगों के दौरान “बिना किसी भय या पक्षपात के, तत्परता और पेशेवर तरीके” से कार्रवाई की।

READ ALSO  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकील से पूँछा आपका प्रवेश हाईकोर्ट परिसर में क्यूँ ना वर्जित कर दिया जाये? जानिए पूरा मामला

पुलिस ने कोर्ट को बताया कि दंगों से जुड़े कुल 757 एफआईआर दर्ज हुईं। इनमें से 273 मामलों में जांच लंबित है और 250 में मुकदमे चल रहे हैं।

दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से आग्रह किया था कि वह राजनीतिक नेताओं के खिलाफ एफआईआर की मांग वाली याचिका का जल्द निपटारा करे, संभव हो तो तीन महीने में।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles