सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजस्थान प्राधिकरणों की कड़ी खिंचाई की और कहा कि जोजरी नदी में बढ़ते प्रदूषण को रोकने में विफलता के कारण लगभग 20 लाख लोगों को जिस स्तर की परेशानी झेलनी पड़ी है, वह “अविश्वसनीय” है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ जोजरी नदी के प्रदूषण को लेकर दर्ज एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी। इस नदी में मुख्य रूप से टेक्सटाइल और अन्य उद्योगों का अपशिष्ट जल जाता है।
सुनवाई के दौरान पीठ ने गंभीर चिंता जताई। अदालत ने कहा, “जो कठोर वास्तविकता वहाँ चल रही है, वह चिंताजनक है। लोगों को जो suffering हुई है, वह अविश्वसनीय है।”
अदालत ने पाया कि कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट्स (CETPs) को बाईपास कर अपशिष्ट जल सीधे नदी में छोड़ा जा रहा था। पीठ ने पूछा, “यही हो रहा है। हम नगर निकायों को कैसे बरी कर दें?”
न्यायमूर्ति मेहता ने टिप्पणी की, “जो कुछ हुआ है वह अधिकारियों की नाक के नीचे और उनकी मिलीभगत से हुआ है।”
राज्य के वकील ने बताया कि उन्होंने मामले में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है। पीठ ने कहा कि यह रिपोर्ट उनके पहले के आदेशों में की गई टिप्पणियों को “लगभग सही साबित करती है” और स्पष्ट रूप से दिखाती है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने में राज्य विफल रहा, जिससे दो मिलियन लोग प्रभावित हुए।
राज्य के वकील ने यह भी बताया कि पाली और बालोतरा के नगर परिषद, जोधपुर नगर निगम और राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (RIICO) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के फरवरी 2022 के आदेश के खिलाफ दायर अपनी अपीलें आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। NGT ने लूणी, बांदी और जोजरी नदियों में प्रदूषण के मामले में कई सकारात्मक निर्देश दिए थे।
RIICO की अपील NGT द्वारा लगाए गए 2 करोड़ रुपये के पर्यावरणीय मुआवजे को लेकर थी।
राज्य के वकील ने कहा कि यद्यपि वे “सकारात्मक निर्देशों” पर अपीलें नहीं दबाएंगे, लेकिन NGT द्वारा अधिकारियों पर की गई टिप्पणियों और लगाए गए खर्च को सर्वोच्च न्यायालय लंबित रखे।
उन्होंने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत को अब तक हुई प्रगति पर नजर डालनी चाहिए।
पीठ ने स्थिति रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि वह 21 नवंबर को अपना आदेश पारित करेगी।
इससे पहले 7 नवंबर को कोर्ट ने राज्य से स्पष्ट किया था कि क्या RIICO और तीन नगर निकाय NGT के आदेश के खिलाफ अपनी अपीलें जारी रखना चाहते हैं। पिछले महीने, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सभी लंबित अपीलें जोजरी नदी प्रदूषण पर दर्ज स्वतः संज्ञान मामले के साथ ही सुनी जाएँ।
यह मामला In Re: 2 million lives at risk, contamination in Jojari River, Rajasthan शीर्षक वाले स्वतः संज्ञान से संबंधित है। शीर्ष अदालत ने 16 सितंबर को स्वतः संज्ञान लिया था, जब उसे पता चला कि सैकड़ों गांवों में उद्योगों, विशेषकर टेक्सटाइल इकाइयों का अपशिष्ट सीधे नदी में छोड़ा जा रहा है।
अदालत ने तब टिप्पणी की थी कि इस कारण क्षेत्र का पेयजल मनुष्यों और पशुओं दोनों के लिए असुरक्षित हो गया है और इससे लोगों के स्वास्थ्य तथा स्थानीय पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ रहा है।




