जिम कॉर्बेट भ्रष्टाचार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने IFS अधिकारी राहुल को नोटिस भेजा, उत्तराखंड हाईकोर्ट का स्थगन आदेश किया रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़े मामले में उत्तराखंड के वन अधिकारी राहुल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा उनके अभियोजन पर लगाए गए स्थगन आदेश (Stay Order) को भी निलंबित कर दिया और संबंधित न्यायिक अभिलेखों को अपने पास मंगाने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कड़ी नाराज़गी जताते हुए कहा कि अधिकारी ने यह जानते हुए भी कि यह मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में है, हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और अभियोजन की अनुमति पर रोक हासिल की।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हम राहुल (अधिकारी) और हाईकोर्ट दोनों के रुख से गहराई से व्यथित हैं।” उन्होंने आगे कहा, “जब यह स्पष्ट था कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है, तो हाईकोर्ट को इस याचिका पर विचार नहीं करना चाहिए था और न ही स्थगन आदेश पारित करना चाहिए था।”

Video thumbnail

अदालत ने राहुल को 11 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर यह बताने का निर्देश दिया है कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।

READ ALSO  Live-in-Relationship | Such Type of Relationship Often Result in Timepass, Temporary and Fragile: Allahabad HC Declines to Give Protection to Couple in Live-in-Relationship

यह मामला वर्ष 1995 से लंबित जनहित याचिका टी. एन. गोडावर्मन से जुड़ा है, जिसमें वन संरक्षण से संबंधित मुद्दों की सुनवाई हो रही है। इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर शीर्ष अदालत की सहायता अमीकस क्यूरी (amicus curiae) के रूप में कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 17 सितंबर को उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया था कि वह अधिकारी राहुल के खिलाफ विभागीय जांच तीन महीने के भीतर पूरी करे और केंद्र सरकार भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत अभियोजन की अनुमति एक महीने के भीतर प्रदान करे।

READ ALSO  तमिलनाडु पुलिस ने कैदी की मौत के बाद निजी पुनर्वास के वार्डन, मनोवैज्ञानिक को गिरफ्तार किया

शीर्ष अदालत ने तब यह भी पूछा था कि जब अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है तो राहुल को विशेष संरक्षण क्यों दिया जा रहा है

यह पूरा मामला जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई के आरोपों से जुड़ा है। इस प्रकरण में आरोपी अधिकारी, जो पहले कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के निदेशक थे, को बाद में राजाजी टाइगर रिज़र्व का निदेशक नियुक्त किया गया — जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी नाराज़गी जताई थी।

पीठ ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी सवाल किया था कि उन्होंने अधिकारी को क्यों नियुक्त किया, जबकि राज्य के वन मंत्री और कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इसके खिलाफ राय दी थी।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा था, “इस देश में सार्वजनिक न्यास का सिद्धांत (Public Trust Doctrine) है। कार्यपालिका के प्रमुख किसी पुराने ज़माने के राजा नहीं हैं कि जो चाहें वही करें। हम सामंती युग में नहीं रह रहे।”

READ ALSO  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 258 किलोग्राम गांजा रखने के आरोपी व्यक्ति को जमानत दी

अदालत ने यह भी टिप्पणी की थी कि जब सभी स्तरों पर — डेस्क अधिकारी से लेकर प्रधान सचिव और मंत्री तक — विरोध दर्ज किया गया था, तो मुख्यमंत्री को कम से कम यह बताना चाहिए था कि वे उस प्रस्ताव से असहमति क्यों जता रहे हैं।

अब अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को तय की है, जिसमें अधिकारी को अपनी सफाई पेश करनी होगी कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न चलाई जाए।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles