दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को गूगल एलएलसी को आदेश दिया कि वह दो यूट्यूब चैनल हटा दे जो पत्रकार राजत शर्मा की डीपफेक और मनगढ़ंत वीडियो प्रसारित कर रहे हैं। अदालत ने गूगल को निर्देश दिया कि ये चैनल 36 घंटे के भीतर हटा दिए जाएं और इनके बीएसआई, एक्सेस, कॉन्टैक्ट डिटेल्स व मोनेटाइजेशन डेटा एक सप्ताह के भीतर शर्मा को उपलब्ध कराए जाएं।
न्यायमूर्ति मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राहत पाने का पूरा आधार प्रस्तुत किया है। उन्होंने आदेश में कहा,
“आवेदन में किए गए स्पष्ट दावों से यह प्रतीत होता है कि इन चैनलों पर अपलोड किए गए वीडियो फर्जी, संपादित और एआई से तैयार किए गए हैं, जो वादी संख्या 1 (शर्मा) की छवि का दुरुपयोग करते हुए गलत सूचना फैला रहे हैं। अदालत को यह संतोष है कि वादी ने मांगी गई राहत के लिए पर्याप्त आधार प्रस्तुत किया है।”
अदालत ने गूगल को आदेश दिया कि वह संबंधित चैनलों की बीएसआई जानकारी, एक्सेस व कॉन्टैक्ट डिटेल्स और मोनेटाइजेशन डेटा शर्मा को दे। साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि इसी तरह का या समान कंटेंट दोबारा अपलोड न हो, ताकि वादी को ऐसे वीडियो ढूंढने की जिम्मेदारी न उठानी पड़े।
अदालत ने कहा,
“यह कार्रवाई न केवल वादी के सामान्य विधिक और वैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए भी जरूरी है।”
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि गूगल और शर्मा आपसी बैठक करें, ताकि पत्रकार स्वयं गूगल को डीपफेक सामग्री की जानकारी दे सकें और उसे तुरंत हटाया जा सके।
शर्मा की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि संबंधित दो यूट्यूब चैनल लगभग पूरी तरह पत्रकार की नकल पर आधारित हैं। इन चैनलों ने बिना अनुमति के शर्मा के न्यूज चैनल की कॉपीराइट फुटेज उठाई, उसे संपादित किया और एआई तकनीक से बनाई गई झूठी वीडियो प्रसारित कीं, जिनमें शर्मा और अन्य प्रमुख पत्रकारों का भी गलत चित्रण किया गया।
अधिवक्ता ने इन चैनलों को “रोग (rogue)” बताते हुए कहा कि केवल वीडियो नहीं बल्कि पूरे चैनल को हटाया जाना चाहिए। अदालत ने इस दलील से सहमति जताई और गलत सूचना को स्रोत स्तर पर रोकने के लिए चैनल हटाने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने शर्मा को यह स्वतंत्रता भी दी कि अगर किसी अन्य चैनल पर उनके खिलाफ कोई फर्जी या डीपफेक वीडियो अपलोड किया जाए तो वह गूगल से संपर्क कर उसे हटाने का अनुरोध करें, और गूगल को ऐसे वीडियो 48 घंटे के भीतर हटाने का आदेश दिया गया।
इससे पहले, हाईकोर्ट की एक अन्य पीठ ने शर्मा के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा करते हुए आदेश दिया था कि उनकी आवाज़, छवि या वीडियो में कृत्रिम रूप से बनाए गए किसी भी कंटेंट को हटाया जाए




