सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सहमति जताई कि वह चुनाव आयोग (EC) के पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान चलाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 नवंबर से सुनवाई शुरू करेगी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की पीठ ने कहा कि 11 नवंबर से कई महत्वपूर्ण मामलों की सूची होने के बावजूद वह इस मुद्दे की सुनवाई के लिए अन्य मामलों को समायोजित करने की कोशिश करेगी।
एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि यह मामला “लोकतंत्र की जड़ से जुड़ा हुआ है” और इस पर शीघ्र सुनवाई जरूरी है क्योंकि SIR प्रक्रिया पहले ही कई राज्यों में शुरू हो चुकी है।
शीर्ष अदालत पहले से ही बिहार में हुए SIR अभियान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि मतदाता सूची से बड़ी संख्या में नाम हटाए गए हैं, खासकर अल्पसंख्यक समुदायों के।
16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में चुनाव आयोग ने बिहार SIR को “सटीक” बताया और कहा कि याचिकाकर्ता राजनीतिक दल और एनजीओ केवल “झूठे आरोप” लगाकर इस प्रक्रिया को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। आयोग ने यह भी कहा कि अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद अब तक किसी भी मतदाता ने नाम विलोपन के खिलाफ अपील नहीं की है।
आयोग ने यह भी खारिज किया कि मुस्लिम मतदाताओं को अनुपातहीन रूप से बाहर किया गया, और कहा कि हटाए गए नाम मौत, पलायन और डुप्लीकेशन जैसे वैध कारणों पर आधारित थे।
चुनाव आयोग द्वारा 30 सितंबर को प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची के अनुसार बिहार में कुल 7.42 करोड़ मतदाता दर्ज किए गए, जबकि SIR से पहले यह संख्या 7.89 करोड़ थी — यानी करीब 47 लाख मतदाताओं की कमी हुई।
हालाँकि, 1 अगस्त को जारी मसौदा सूची (ड्राफ्ट लिस्ट) की तुलना में अंतिम सूची में 17.87 लाख मतदाताओं की शुद्ध वृद्धि दर्ज हुई। मसौदा सूची में 65 लाख नाम हटाए गए थे, जबकि बाद में 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए और 3.66 लाख नाम हटाए गए, जिससे यह शुद्ध वृद्धि हुई।
मामले का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव जारी हैं। पहला चरण 243 में से 121 सीटों पर गुरुवार को संपन्न हुआ, जबकि दूसरा चरण शेष 122 सीटों पर 11 नवंबर को होगा। वोटों की गिनती 14 नवंबर को की जाएगी।




