सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आज़म ख़ान की याचिका खारिज की, कहा—ट्रायल कोर्ट को फैसला करने दें

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान के बेटे और पूर्व विधायक मोहम्मद अब्दुल्ला आज़म ख़ान की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ पासपोर्ट में कथित रूप से फर्जी दस्तावेज़ों के उपयोग से संबंधित आपराधिक मुकदमे को रद्द करने की मांग की थी।

न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 23 जुलाई के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया और कहा कि चूंकि ट्रायल पूरा हो चुका है और मामला बहस के लिए तय है, इसलिए अब सुप्रीम कोर्ट को दखल देने की जरूरत नहीं है।

पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, “ट्रायल कोर्ट पर भरोसा रखिए। अब जब ट्रायल पूरा हो चुका है, तो हमें क्यों हस्तक्षेप करना चाहिए? ट्रायल कोर्ट को ही निर्णय लेने दीजिए।”

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट स्वतंत्र रूप से फैसला करेगा और हाईकोर्ट के आदेश से प्रभावित नहीं होगा।

READ ALSO  हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम | बेटी भी बेटे के बराबर सहदायिक अधिकारों की हकदार है, भले ही पिता की मृत्यु 2005 संशोधन से पहले हो गई हो: उड़ीसा हाईकोर्ट

यह मामला रायपुर (उत्तर प्रदेश) में जुलाई 2019 में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अब्दुल्ला आज़म ख़ान ने फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर पासपोर्ट प्राप्त किया। एफआईआर के अनुसार, उनकी जन्मतिथि हाईस्कूल सर्टिफिकेट में 1 जनवरी 1993 दर्ज थी, जबकि पासपोर्ट में 30 सितंबर 1990 लिखी गई थी।

पुलिस ने उनके खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी) और धारा 471 (फर्जी दस्तावेज़ को असली बताकर इस्तेमाल करना) के तहत चार्जशीट दाखिल की थी, साथ ही पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12(1A) के तहत भी कार्रवाई की गई थी।

अब्दुल्ला आज़म ख़ान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यह दलील दी थी कि वे पहले से ही एक अन्य मामले में (जन्म प्रमाणपत्र में फर्जीवाड़े को लेकर) ट्रायल का सामना कर रहे हैं, और दोनों मामलों के तथ्य एक जैसे हैं। उन्होंने कहा था कि यह डबल जियोपार्डी (एक ही अपराध के लिए दो बार मुकदमा) का मामला बनता है।

READ ALSO  Chief Justice Khanna Encourages Newly Qualified AoRs to Engage in Pro-Bono Work Alongside Professional Duties

हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा था कि याचिका “बिना किसी ठोस आधार के” है और ट्रायल कोर्ट को विधि के अनुसार कार्यवाही आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था।

29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नोटिस जारी करते हुए कहा था कि ट्रायल जारी रह सकता है, लेकिन ट्रायल कोर्ट अंतिम फैसला नहीं सुनाएगा।

गुरुवार की सुनवाई में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने राज्य सरकार की ओर से कहा कि ट्रायल समाप्त हो चुका है और मामला दलीलों के लिए तय है। उन्होंने तर्क दिया कि अलग-अलग समय पर अलग-अलग दस्तावेज़ों की जालसाजी अलग अपराध माने जाएंगे, इसलिए डबल जियोपार्डी का सिद्धांत यहां लागू नहीं होता।

READ ALSO  धोखाधड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज की, एएसपी ने गिरफ्तारी के लिए टास्क फोर्स का गठन किया

सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद अब रायपुर की ट्रायल कोर्ट को इस मामले में अपना फैसला सुनाने की पूरी छूट मिल गई है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles