सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका को कड़ी फटकार लगाते हुए खारिज कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता ने स्वयं को हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की मांग की थी। अदालत ने इस याचिका को “न्याय प्रणाली का मज़ाक” बताया।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चन्द्रन की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान हैरानी जताई कि इस तरह की याचिका दायर ही क्यों की गई।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा,
“क्या आप चाहते हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट के पहले तीन न्यायाधीशों को बुलाकर यहीं कोलेजियम की बैठक कर लें? यह प्रणाली का मज़ाक उड़ाने जैसा है।”
पीठ ने आगे कहा कि अदालत के इतिहास में ऐसा मामला पहले कभी नहीं सुना गया। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस तरह की याचिका दायर करने पर अदालत लागत (कॉस्ट) लगाने पर विचार कर सकती है।
जैसे ही अदालत ने नाराज़गी जताई, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने अनुमति लेकर याचिका वापस ले ली। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा,
“ऐसी याचिकाएँ दाखिल करने वालों की सनद (वकालत का लाइसेंस) ही रद्द कर देनी चाहिए।”
अंततः अदालत ने अनुमति के साथ याचिका को वापस ले लिया।




