2020 दिल्ली दंगों के यूएपीए केस में उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से कहा — हिंसा से कोई सबूत नहीं जुड़ा; अगली सुनवाई 3 नवंबर को

कार्यकर्ता उमर खालिद ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि फरवरी 2020 दिल्ली दंगों में उन्हें हिंसा से जोड़ने वाला कोई भी सबूत नहीं है और उन पर लगाए गए साजिश के आरोप पूरी तरह निराधार हैं। खालिद ने यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत चल रहे मुकदमे में जमानत की मांग करते हुए दलील दी कि अभियोजन पक्ष अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस सामग्री पेश नहीं कर पाया है।

“न पैसा, न हथियार, न कोई सबूत”: कपिल सिब्बल

खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एन. वी. अंजारिया की पीठ से कहा कि न तो खालिद से कोई धन बरामद हुआ है, न हथियार, और न ही कोई ऐसा सबूत जो उन्हें दंगों से जोड़ता हो।
सिब्बल ने कहा, “751 एफआईआर हैं, मैं केवल एक में आरोपी हूं। अगर यह कोई साजिश थी, तो यह आश्चर्यजनक है! जिन तारीखों पर दंगे हुए, उन दिनों मैं दिल्ली में था ही नहीं।”
उन्होंने यह भी कहा कि किसी गवाह के बयान में खालिद को किसी हिंसक घटना से नहीं जोड़ा गया है।

READ ALSO  कोर्ट ने कहा: मिडिल फिंगर दिखाना भगवान का दिया हुआ अधिकार है- जानें विस्तार से

सिब्बल ने तर्क दिया कि न्यायिक समानता (parity) के आधार पर खालिद को जमानत मिलनी चाहिए, क्योंकि नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तनहा को पहले ही 2021 में जमानत मिल चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने जिस अमरावती भाषण को ‘भड़काऊ’ बताया था, वह दरअसल गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित सार्वजनिक भाषण था, जो अब भी यूट्यूब पर उपलब्ध है।

Video thumbnail

“5 साल 5 महीने से जेल में हूं”: गुलफिशा फातिमा की दलील

सह-आरोपी गुलफिशा फातिमा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनकी मुवक्किल अप्रैल 2020 से यानी 5 साल 5 महीने से जेल में हैं, लेकिन उनकी जमानत याचिका अब तक तय नहीं हुई है।
उन्होंने बताया कि मुख्य चार्जशीट सितंबर 2020 में दाखिल हो चुकी थी, लेकिन अभियोजन हर साल पूरक चार्जशीट दाखिल कर “वार्षिक रस्म” निभा रहा है।
सिंघवी ने कहा, “उन पर आरोप सिर्फ इतना है कि उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था ताकि समर्थन जुटाया जा सके। लेकिन कानून में असली कसौटी यह है कि क्या किसी ने हिंसा भड़काने या वैमनस्य फैलाने का इरादा रखा — जो यहां नहीं है।”

READ ALSO  Three-judge bench to hear pleas relating to criminalisation of marital rape: SC

“भाषण दंगों से दो महीने पहले का था”: शरजील इमाम की ओर से दलील

वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे, जो सह-आरोपी शरजील इमाम की ओर से पेश हुए, ने कहा कि पुलिस ने जांच पूरी करने में तीन साल लगा दिए, जबकि इमाम पांच साल से जेल में हैं।
उन्होंने कहा, “मेरे भाषण दंगों से करीब दो महीने पहले दिए गए थे। ऐसा कोई प्रत्यक्ष या निकट संबंध नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि मैंने हिंसा भड़काई।”

दिल्ली पुलिस ने जमानत का विरोध किया

दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस ने इन कार्यकर्ताओं की जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने “शांतिपूर्ण प्रदर्शन” के बहाने सरकार बदलने की साजिश (regime change operation) रची, जो देश की संप्रभुता और अखंडता पर प्रहार था।

READ ALSO  वेब-सीरीज की प्री-स्क्रीनिंग संभव नहीं, मौजूदा कानून ओटीटी को कवर नहीं करते: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं कि वे 2020 दिल्ली दंगों के “मुख्य साजिशकर्ता” थे।
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।

सुनवाई शुक्रवार को अधूरी रही और अब यह 3 नवंबर को जारी रहेगी।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles