सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक प्रोबेशन पर तैनात न्यायिक अधिकारी से जुड़े कथित हिट-एंड-रन मामले को पंजाब की अदालत से दिल्ली की रोहिणी ट्रायल कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया। यह आदेश मृतक के परिजनों द्वारा पक्षपात की आशंका जताए जाने के बाद दिया गया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमल्य बागची की पीठ ने यह निर्देश उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया जिसमें मृतक के परिवार ने आरोप लगाया था कि आरोपी न्यायिक अधिकारी होने के कारण पंजाब में निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है।
सुनवाई के दौरान आरोपी न्यायिक अधिकारी के वकील ने कहा कि उन्हें मुकदमे के पंजाब से स्थानांतरण पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह “अधिक उपयुक्त” होगा यदि मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थानांतरित किया जाए, क्योंकि मृतक की भाभी दिल्ली में अधिवक्ता हैं।
हालांकि, पीठ ने यह तर्क अस्वीकार करते हुए मुकदमे को दिल्ली के अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी (एसीएमएम), रोहिणी की अदालत में स्थानांतरित कर दिया। अदालत ने कहा कि दिल्ली एक तटस्थ स्थान होगा, जहाँ निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित की जा सकती है।
इसके साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने एक अन्य याचिका भी दिल्ली स्थानांतरित की, जिसमें मृतक की पत्नी ने जांच को पंजाब पुलिस से सीबीआई को सौंपने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि यदि आगे किसी अतिरिक्त जांच की आवश्यकता पड़ी तो वह दिल्ली पुलिस द्वारा की जाएगी।
शीर्ष अदालत ने इस मामले से संबंधित मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) का मामला भी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से दिल्ली की संबंधित अदालत में ट्रांसफर करने का निर्देश दिया।
याचिका के अनुसार, मृतक की फरवरी 2025 में एक कथित हिट-एंड-रन दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, जिसमें आरोपी न्यायिक अधिकारी की कार शामिल बताई गई थी। वह उस समय पंजाब के होशियारपुर ज़िले में प्रोबेशन पर तैनात थे। यह मामला पहले फगवाड़ा की न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में आरोप तय करने के चरण में लंबित था।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से अब इस घटना से जुड़े सभी मामलों—अपराध मामले, जांच संबंधी याचिका और मुआवज़ा दावा—की कार्यवाही दिल्ली में एक ही न्यायिक अधिकार क्षेत्र में होगी, जिससे निष्पक्ष और एकीकृत सुनवाई सुनिश्चित की जा सकेगी।




