अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद द्वारा दाखिल पासपोर्ट रिहाई की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस पर 18 नवंबर को सुनवाई करेगा। प्रोफेसर का पासपोर्ट मई में उनकी गिरफ्तारी के बाद अंतरिम जमानत की शर्त के रूप में जमा कराया गया था।
न्यायमूर्ति सूर्या कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि चूंकि प्रोफेसर तत्काल विदेश नहीं जा रहे हैं, इसलिए आवेदन पर निर्धारित तारीख पर विचार किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू, हरियाणा सरकार की ओर से पेश हुए और कहा कि महमूदाबाद विदेश यात्रा करना चाहें तो उन्हें अपना यात्रा कार्यक्रम जमा करना होगा। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, प्रोफेसर की ओर से पेश होकर बोले, “अगर राज्य को कोई आपत्ति नहीं है तो पासपोर्ट क्यों रोका जाए? इसे लौटा देना चाहिए।”
हरियाणा पुलिस ने 18 मई को प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को “ऑपरेशन सिंदूर” पर सोशल मीडिया पोस्ट्स के चलते गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ सोनीपत जिले के राय थाना क्षेत्र में दो एफआईआर दर्ज की गई थीं — एक हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया की शिकायत पर और दूसरी एक ग्राम सरपंच की शिकायत पर।
21 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी, शर्त के साथ कि वे सोनीपत के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में अपना पासपोर्ट जमा करें और जांच में पूरा सहयोग करें। कोर्ट ने उन्हें आतंकवादी हमले या भारत की सैन्य प्रतिक्रिया से संबंधित कोई टिप्पणी करने से रोका था, लेकिन सामान्य रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सुरक्षित रखा था।
16 जुलाई को शीर्ष अदालत ने हरियाणा एसआईटी की जांच दिशा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उसने “गलत दिशा में जांच की” और टीम को निर्देश दिया था कि वह केवल दर्ज दो एफआईआर तक सीमित रहकर यह जांचे कि कोई अपराध बनता है या नहीं।
बाद में, 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को एसआईटी की चार्जशीट पर संज्ञान लेने और आरोप तय करने से रोक दिया।
एसआईटी ने अदालत को बताया कि उसने एक एफआईआर में क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल की है, जबकि दूसरी में 22 अगस्त को चार्जशीट दाखिल की गई है।
महमूदाबाद पर भारतीय दंड संहिता (BNS) की कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य),
- धारा 353 (लोक व्यवस्था भंग करने वाले वक्तव्य),
- धारा 79 (महिला की मर्यादा का अपमान करने वाले कार्य),
- धारा 196(1) (धर्म के आधार पर समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना)।
कपिल सिब्बल ने चार्जशीट दाखिल करने को “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और कहा कि धारा 152 (देशद्रोह-समान अपराध) की संवैधानिक वैधता स्वयं सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
प्रोफेसर महमूदाबाद की गिरफ्तारी के बाद कई राजनीतिक दलों और शिक्षाविदों ने कड़ी निंदा की थी, इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला बताया था।
अब सुप्रीम कोर्ट 18 नवंबर को उनके पासपोर्ट रिहाई आवेदन पर सुनवाई करेगा।




