भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने सोमवार को अपने उत्तराधिकारी के रूप में न्यायमूर्ति सूर्यकांत, जो सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं, का नाम केंद्र सरकार को अनुशंसित किया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवम्बर 2025 को देश के 53 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे और उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा।
उत्तराधिकारी चयन की प्रक्रिया शुरू
मुख्य न्यायाधीश गवई ने सोमवार सुबह न्यायमूर्ति सूर्यकांत को अनुशंसा पत्र की प्रति सौंपकर उत्तराधिकारी नियुक्ति की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू की। यह अनुशंसा उस पत्र के जवाब में की गई है जो कानून मंत्रालय ने 23 अक्टूबर को भेजा था, जिसमें परंपरा के अनुसार अगला मुख्य न्यायाधीश नामित करने का अनुरोध किया गया था।
न्यायिक नियुक्तियों के ज्ञापन (Memorandum of Procedure) के तहत सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम योग्य न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता है।
न्यायमूर्ति गवई ने उत्तराधिकारी की प्रशंसा की
मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत “हर दृष्टि से सक्षम और उपयुक्त हैं” और “संस्थान के लिए एक अमूल्य संपत्ति साबित होंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “मेरी तरह न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी समाज के उस वर्ग से हैं जिसने जीवन में हर स्तर पर संघर्ष देखा है। यही अनुभव उन्हें उन लोगों की पीड़ा और अधिकारों की रक्षा की जरूरत को समझने में सबसे उपयुक्त बनाता है।”
उल्लेखनीय न्यायिक करियर
न्यायमूर्ति सूर्यकांत हरियाणा से मुख्य न्यायाधीश बनने वाले पहले व्यक्ति होंगे। उनका करियर कानूनी उत्कृष्टता और प्रशासनिक दक्षता का संगम रहा है।
उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्य प्रारंभ किया और 38 वर्ष की आयु में हरियाणा के महाधिवक्ता बने — जो उस समय के सबसे युवा महाधिवक्ताओं में से एक थे।
उन्हें 2004 में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। न्यायिक सेवा के दौरान भी उन्होंने शिक्षा जारी रखी और 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलएम में प्रथम श्रेणी प्राप्त की।
इसके बाद अक्टूबर 2018 में उन्हें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 24 मई 2019 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
निष्पक्षता और प्रशासनिक दक्षता के लिए प्रसिद्ध
न्यायमूर्ति सूर्यकांत अपने संयम, विनम्रता और न्यायिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। वे न्यायपालिका में प्रशासनिक दक्षता और जिला न्यायपालिका के प्रदर्शन की निगरानी में निरंतर सुधार के लिए भी प्रशंसित हैं।
शीर्ष न्यायालय में नया अध्याय
मुख्य न्यायाधीश गवई, जिन्होंने मई 2025 में 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला था, 23 नवम्बर को सेवानिवृत्त होंगे।
इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा औपचारिक अधिसूचना जारी की जाएगी, जिसके पश्चात न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवम्बर को शपथ लेंगे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का पदभार ग्रहण भारतीय न्यायपालिका में एक नया अध्याय खोलेगा — जो विद्वत्ता, संवेदनशीलता और संस्थागत निरंतरता का प्रतीक होगा।




