गोरगांव–मुलुंड लिंक रोड परियोजना के लिए अधिक पेड़ काटने की बीएमसी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगी विचार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) की उस याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई, जिसमें गोरगांव–मुलुंड लिंक रोड (GMLR) परियोजना के लिए अतिरिक्त पेड़ काटने की अनुमति मांगी गई है। यह अनुमति प्रतिपूरक वनीकरण (compensatory afforestation) की शर्त पर मांगी गई है।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने बीएमसी के वकील की दलील पर गौर किया कि परियोजना के अगले चरण के लिए और पेड़ों की कटाई आवश्यक है। इस पर पीठ ने कहा कि वह इस याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगी।

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इससे पहले, 14 अगस्त को शीर्ष अदालत ने बीएमसी की वृक्ष प्राधिकरण को परियोजना के पहले चरण के लिए 95 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी।

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बीएमसी ने अदालत को भरोसा दिलाया था कि वह प्रतिपूरक वनीकरण से संबंधित सभी नियमों का पालन करेगी। इसमें काटे गए पेड़ों के बदले लगाए जाने वाले पौधों का जियो-टैगिंग भी शामिल है, ताकि उनकी निगरानी और अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।

गोरगांव–मुलुंड लिंक रोड परियोजना का उद्देश्य वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे को ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से जोड़ना है, जिससे गोरगांव और मुलुंड के बीच यात्रा समय में लगभग एक घंटे की कमी आएगी। परियोजना के लिए आवश्यक अतिरिक्त पेड़ों की कटाई को आगे बढ़ाने के लिए बीएमसी ने सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी है।

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