सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्त्वपूर्ण फैसले में कहा कि यदि किसी न्यायिक अधिकारी के पास न्यायिक सेवा में आने से पहले सात वर्ष का वकालती अनुभव है, तो वह ‘बार कोटा’ के तहत जिला जज के पद पर नियुक्ति के लिए पात्र होगा।
यह फैसला संविधान पीठ ने रेजानिश केवी बनाम के. दीपा एवं अन्य मामले में सुनाया।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसे न्यायिक अधिकारियों को जिला न्यायपालिका में प्रत्यक्ष भर्ती के माध्यम से नियुक्त किया जा सकता है। यह निर्णय पहले के सीमित दृष्टिकोण से अलग है, जिसमें बार कोटा के तहत न्यायिक अधिकारियों को अपात्र माना गया था।
पृष्ठभूमि
यह मामला संविधान के अनुच्छेद 233(2) की व्याख्या से संबंधित था। इस प्रावधान में कहा गया है कि ऐसा व्यक्ति जो केंद्र या राज्य की सेवा में नहीं है, उसे जिला न्यायाधीश नियुक्त किया जा सकता है यदि वह कम से कम सात वर्ष तक अधिवक्ता या वकील रहा हो और उच्च न्यायालय द्वारा अनुशंसित हो।

कई उच्च न्यायालयों के नियमों और 2020 के धीरज मोर बनाम दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय में न्यायिक अधिकारियों को बार कोटा से आवेदन करने से रोक दिया गया था, भले ही उनके पास सात वर्ष का वकालती अनुभव रहा हो। इसके खिलाफ कई रिट याचिकाएं, विशेष अनुमति याचिकाएं और पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं। इन याचिकाओं में मांग की गई थी कि ऐसे अधिकारियों को बार कोटा के तहत जिला न्यायाधीश पद पर नियुक्ति के लिए पात्र घोषित किया जाए।
12 अगस्त को तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने धीरज मोर निर्णय पर पुनर्विचार याचिका की सुनवाई करते हुए मामले को संविधान पीठ को संदर्भित किया था।
विचारणीय प्रश्न
संविधान पीठ ने चार प्रमुख प्रश्नों पर विचार किया:
- क्या वह न्यायिक अधिकारी जिसने न्यायिक सेवा में आने से पहले सात वर्ष तक वकालत की है, बार कोटा के तहत अतिरिक्त जिला न्यायाधीश पद पर नियुक्ति का हकदार है?
- पात्रता को आवेदन के समय, नियुक्ति के समय या दोनों समय देखा जाना चाहिए?
- क्या अनुच्छेद 233(2) में पहले से सेवा में मौजूद व्यक्तियों के लिए कोई विशेष पात्रता निर्धारित है?
- क्या सात वर्ष से अधिक समय तक सिविल जज के रूप में सेवा देने वाला व्यक्ति या वकील और सिविल जज के रूप में सात वर्ष या उससे अधिक का संयुक्त अनुभव रखने वाला व्यक्ति अनुच्छेद 233 के तहत जिला न्यायाधीश बनने के लिए पात्र है?
न्यायालय का निर्णय
पीठ ने अपने फैसले में कहा:
- ऐसे न्यायिक अधिकारी जिन्होंने न्यायिक सेवा में आने से पहले सात वर्ष तक वकालत की है, वे बार कोटा के तहत जिला न्यायाधीश पद के लिए पात्र होंगे।
- जिन अधिकारियों के पास वकील और न्यायाधीश के रूप में संयुक्त रूप से सात वर्ष का अनुभव है, वे भी प्रत्यक्ष भर्ती के माध्यम से जिला न्यायाधीश पद के लिए पात्र होंगे।
- राज्य सरकारें संबंधित उच्च न्यायालयों से परामर्श कर ऐसे न्यायिक अधिकारियों और इन-सर्विस उम्मीदवारों की प्रत्यक्ष भर्ती के लिए नियम बनाएंगी।
यह निर्णय जिला न्यायाधीश पदों पर नियुक्ति के लिए पात्र उम्मीदवारों के दायरे को व्यापक बनाता है और अनुच्छेद 233(2) के पाठ और उद्देश्य के अनुरूप है।