सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (IHFL) — जिसे अब सम्मान कैपिटल लिमिटेड के नाम से जाना जाता है — के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं और फंड डाइवर्जन की जांच को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और अधिवक्ता प्रशांत भूषण के बीच तीखी बहस देखने को मिली।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भुयान और न्यायमूर्ति एन. के. सिंह की पीठ नागरिक व्हिसलब्लोअर फोरम (CWBF) नामक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कंपनी और उसके प्रमोटर्स द्वारा शेल कंपनियों को भारी भरकम ऋण देने, उसे प्रमोटर-लिंक्ड कंपनियों में वापस घुमाने (राउंड ट्रिपिंग) और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच अदालत की निगरानी में कराने की मांग की गई है।
शेल कंपनियों को हजारों करोड़ के ऋण का आरोप
CWBF की ओर से पेश होते हुए प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि कंपनी ने कई शेल कंपनियों को सैकड़ों करोड़ रुपये के ऋण दिए और फिर इन रकमों को प्रमोटर से जुड़ी कंपनियों में वापस डाइवर्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि इन आरोपों को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के हलफनामों से समर्थन मिला है।

“एक कंपनी जिसकी नेटवर्थ सिर्फ ₹1 लाख थी, उसे ₹1,000 करोड़ का लोन दिया गया। सम्मान कैपिटल (पहले इंडियाबुल्स) ने कई कंपनियों को लगभग ₹400 करोड़ का लोन दिया। कंपनी के संस्थापक समीर गहलौत देश छोड़कर लंदन में रह रहे हैं। उन्होंने यस बैंक केस में सीबीआई के कई समन का जवाब नहीं दिया। सेबी के हलफनामे इन आरोपों की पुष्टि करते हैं,” भूषण ने कहा।
साल्वे बोले – यह ‘ब्लैकमेल लिटिगेशन’ है
IHFL के संस्थापक समीर गहलौत की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि यह जनहित याचिका के नाम पर दुरुपयोग का मामला है।
“यह ब्लैकमेल लिटिगेशन है। जांच अगर होनी चाहिए तो इन एनजीओ की होनी चाहिए। सभी एजेंसियों ने हलफनामे दाखिल किए हैं, कुछ भी सामने नहीं आया है। यह किस तरह की विच-हंटिंग है? मैं इस याचिका की ग्राह्यता पर ही आपत्ति कर रहा हूं,” साल्वे ने कहा।
इसके बाद साल्वे और भूषण के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई। भूषण ने तंज कसते हुए कहा कि साल्वे को केस की फाइलों की जानकारी नहीं है क्योंकि “वह लंदन में बैठे हैं।” इस पर साल्वे ने जवाब दिया, “आप चाहे जिस शहर में बैठे हों, साधारण अंग्रेजी में लिखा हलफनामा पढ़ सकते हैं।”
वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, जो एक अन्य प्रमोटर की ओर से पेश हुए, ने भी बहस में हिस्सा लिया और मुंबई में दायर इसी तरह की शिकायत को “ब्लैकमेलर द्वारा की गई” बताया। भूषण ने इसका विरोध करते हुए कहा कि फोरम में पूर्व जज, वरिष्ठ नौकरशाह और कई प्रतिष्ठित व्यक्ति ट्रस्टी हैं। “वे जस्टिस शाह, पूर्व नेवी चीफ, केंद्र सरकार के कई पूर्व सचिव और अरुणा रॉय को ब्लैकमेलर कह रहे हैं,” भूषण ने कहा। इस पर साल्वे ने संक्षिप्त में जवाब दिया, “हां।”
बहस और गर्म हो गई जब भूषण ने साल्वे की “हिम्मत” पर टिप्पणी की और साल्वे ने कहा, “मैं कहां बैठा हूं, इससे इन्हें क्या लेना। अगर जलन है तो ये भी लंदन चले जाएं।” रोहतगी ने मजाक में कहा कि भूषण को भी अगली सुनवाई लंदन से ही करनी चाहिए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने हल्की मुस्कान के साथ माहौल शांत करने की कोशिश की और कहा, “हम इन बातों पर टिप्पणी नहीं करेंगे। अब 19 तारीख को सुनवाई होगी।” भूषण ने अगली तारीख पर व्यवस्थित सुनवाई की मांग की। साल्वे ने फिर कहा, “आप ब्लैकमेलर हैं।” भूषण ने पलटवार करते हुए कहा, “श्री साल्वे इन सबके साथ चाय पीते हैं।” पीठ ने आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई बिना व्यवधान के होगी।
अदालत ने मांगी MCA और ED से विस्तृत रिपोर्ट
तीखी बहस के बीच अदालत ने मामले के नियामकीय पहलुओं पर भी गौर किया। पीठ ने नोट किया कि सीबीआई ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को IHFL की जांच जारी रखने की अनुमति दी थी और एजेंसी से उसका स्पष्ट रुख मांगा।
जब बताया गया कि विभिन्न नियामक एजेंसियों ने कंपनी को क्लीन चिट दी है, तो अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू से मूल रिपोर्ट पेश करने को कहा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “हम वह मूल रिपोर्ट देखना चाहते हैं और यह भी जानना चाहते हैं कि आपने कितने मामलों में इतनी उदारता दिखाई है।”
अदालत ने कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (MCA) को निर्देश दिया कि सेबी द्वारा इंगित अनियमितताओं के ‘कंपाउंडिंग’ से संबंधित मूल रिकॉर्ड अदालत में प्रस्तुत किए जाएं और इसके लिए एक वरिष्ठ अधिकारी अदालत में उपस्थित रहे। इसके अलावा, ईडी को निर्देश दिया गया कि वह शपथपत्र दाखिल कर बताए कि सीबीआई के अनुरोध पर आर्थिक अपराध शाखा (EOW), दिल्ली में केस दर्ज करने के लिए उसने क्या कदम उठाए।