दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें सरकार द्वारा वित्तपोषित प्रसार भारती (दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो) को भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) की टीम को “टीम इंडिया” या “इंडियन नेशनल टीम” कहने से रोकने की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने अधिवक्ता रीपक कंसल द्वारा दायर इस याचिका को सख्त शब्दों में खारिज करते हुए इसे “अदालत का समय बर्बाद करने” वाला करार दिया।
याचिकाकर्ता के तर्क
कंसल ने अपनी याचिका में कहा कि BCCI एक निजी संस्था है, जो तमिलनाडु सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत है, और प्रसार भारती द्वारा उसकी टीम को “टीम इंडिया” कहकर दिखाना उसे अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय दर्जा देता है, जो भ्रामक है और उसे अनुचित व्यावसायिक लाभ पहुंचाता है।

याचिका में यह भी कहा गया कि BCCI अपने आयोजनों और मैचों में “इंडिया” नाम, राष्ट्रीय ध्वज और अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों का उपयोग करती है, और दूरदर्शन व ऑल इंडिया रेडियो द्वारा ऐसे प्रसारण Emblems and Names (Prevention of Improper Use) Act, 1950 तथा Flag Code of India, 2002 का उल्लंघन करते हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, किसी वैधानिक प्राधिकरण या अधिसूचना के बिना किसी निजी संस्था द्वारा “इंडिया” नाम का मनमाना उपयोग निष्पक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
अदालत की टिप्पणियाँ
पीठ ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि BCCI द्वारा ध्वज या राष्ट्रीय नाम का उपयोग और प्रसार भारती द्वारा उसका प्रसारण किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं है।
पीठ ने कहा, “आज कोई भी निजी व्यक्ति ध्वज फहरा सकता है। अगर आप अपने घर में ध्वज फहराना चाहें तो क्या आपको रोका जाता है? ध्वज अधिनियम की धारा 3 का उल्लंघन कहां है? क्या आप कह रहे हैं कि यह टीम भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करती? यह टीम जो हर जगह जाकर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है, आप कह रहे हैं कि यह टीम इंडिया नहीं है? अगर यह टीम इंडिया नहीं है तो हमें बताइए यह टीम इंडिया क्यों नहीं है?”
न्यायाधीशों ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि क्या उन्हें देश में खेलों की चयन और प्रशासनिक व्यवस्था की जानकारी है। उन्होंने कहा, “क्या आपको पता है कि पूरा खेल तंत्र कैसे काम करता है? आपके अनुसार अगर खेल विभाग के सरकारी अधिकारी टीम का चयन करें तभी वह टीम भारत का प्रतिनिधित्व करेगी? यह अदालत का समय बर्बाद करने जैसा है। आपको बेहतर जनहित याचिकाएं दाखिल करनी चाहिए। हम इसे खारिज करने के लिए प्रवृत्त हैं।”
अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि BCCI द्वारा ध्वज का उपयोग और प्रसार भारती द्वारा टीम को ‘टीम इंडिया’ कहना किसी भी वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं है।