केरल हाईकोर्ट ने सोमवार को सबरीमला मंदिर के सभी बहुमूल्य आभूषणों और वस्तुओं — जिनमें सोना, चांदी, रत्न और प्राचीन धरोहर शामिल हैं — की व्यापक और डिजिटाइज्ड सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह कदम द्वारपालक (देवद्वार रक्षक) मूर्तियों की सोने से मढ़ी ताम्रपट्टिकाओं के वजन में गंभीर विसंगति पाए जाने के बाद उठाया।
न्यायमूर्ति राजा विजयाराघवन वी और न्यायमूर्ति के.वी. जयकुमार की खंडपीठ ने कहा कि यह सूची सेवानिवृत्त न्यायाधीश के.टी. शंकरण की निगरानी में तैयार की जाएगी। अदालत ने एक प्रतिष्ठित और विश्वसनीय आभूषण विशेषज्ञ की नियुक्ति कर सभी वस्तुओं का मूल्यांकन कराने का निर्देश भी दिया।
मामला तब सामने आया जब त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) के सतर्कता अधिकारी ने रिपोर्ट दी कि 2019 में दोबारा सोने की परत चढ़ाने के लिए हटाई गई ताम्रपट्टिकाओं का वजन 42.8 किलोग्राम था, लेकिन जब उन्हें सोने की परत चढ़ाने वाली कंपनी को सौंपा गया तो उनका वजन केवल 38.258 किलोग्राम दर्ज किया गया।

अदालत ने पाया कि 11 सितंबर 2019 को तैयार महाजर में द्वारपालकों और पीठों (पीडम) का वजन दर्ज ही नहीं किया गया। अदालत ने कहा कि यह चूक “चाहे लापरवाही से हुई हो या जानबूझकर, अस्वीकार्य है” और यह “गंभीर प्रशासनिक खामियों” को दर्शाती है।
अदालत ने कहा कि हालांकि थिरुवाभरणम (पवित्र आभूषण) रजिस्टर में देवता को अर्पित सोने-चांदी के आभूषणों, रत्नों और वस्तुओं का विवरण मौजूद है, लेकिन द्वजस्तंभ, द्वारपालक मूर्तियों या पीठों पर चढ़ाए गए सोने का कोई रजिस्टर नहीं रखा गया है। अदालत ने तुरंत एक व्यापक और डिजिटाइज्ड सूची तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि मंदिर की संपत्ति के दुरुपयोग या चोरी की संभावना से बचा जा सके।
विजिलेंस अधिकारी ने यह भी बताया कि मजबूत कक्ष (स्ट्रॉन्ग रूम) में रखी गई द्वारपालक मूर्तियों की दूसरी जोड़ी अभी तक नहीं मिल सकी है।
विजिलेंस अधिकारी ने अदालत को सूचित किया कि पहले लापता बताई गई द्वारपालकों की सोने से मढ़ी पीठ को प्रायोजक उन्नीकृष्णन पोटी के रिश्तेदार के घर से बरामद किया गया। अदालत ने इस पर गंभीर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि देवस्वम अधिकारियों ने बिना उचित दस्तावेजीकरण और जांच के मंदिर की अमूल्य संपत्ति को संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति के भरोसे कैसे सौंप दिया।
अदालत ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश के.टी. शंकरण को सबरीमला के सभी बहुमूल्य आभूषणों और वस्तुओं की सूची एवं मूल्यांकन की निगरानी का जिम्मा सौंपा। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मूल्यांकन केवल आंतरिक सुरक्षा के लिए है और इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
अदालत ने देवस्वम अधिकारियों की लापरवाही और अनियमितताओं की विस्तृत जांच का निर्देश देते हुए कहा कि जांच गोपनीयता के साथ और पूरी ईमानदारी से की जानी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, अदालत ने मंदिर के गर्भगृह के दरवाजों की मरम्मत का आदेश दिया और चेन्नई से लौटाई गई सोने से मढ़ी ताम्रपट्टिकाओं को फिर से स्थापित करने की अनुमति दी।
मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर के अंत में होगी।