दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिवंगत उद्योगपति संजय कपूर की संपत्ति विवाद से जुड़े सभी पक्षों को निर्देश दिया कि वे उनकी व्यक्तिगत संपत्ति और देनदारियों से जुड़ी कोई भी जानकारी मीडिया में साझा न करें।
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने यह आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया कि कपूर की संपत्ति से जुड़े संवेदनशील विवरणों को गोपनीय रखा जाना चाहिए ताकि अनावश्यक सार्वजनिक चर्चा से बचा जा सके।
अदालत ने विशेष रूप से कहा कि कपूर की वसीयत की एक प्रति प्रतिवादी को उपलब्ध कराई जा सकती है, लेकिन इस शर्त पर कि उसका उपयोग गोपनीय तरीके से किया जाए और किसी भी रूप में सार्वजनिक न किया जाए। अदालत ने कहा, “वसीयत की प्रति प्रतिवादी को दी जाएगी, बशर्ते कि उसका उपयोग केवल गोपनीयता के साथ किया जाए और पक्षकार या अधिवक्ता उसे सार्वजनिक न करें।”

मामले की पक्षकार प्रिया ने अदालत से आग्रह किया था कि उन्हें कपूर की व्यक्तिगत संपत्ति और देनदारियों की सूची सीलबंद लिफाफे में दाखिल करने की अनुमति दी जाए और सभी पक्षकारों को गोपनीयता बनाए रखने के लिए बाध्य किया जाए। वैकल्पिक रूप से, उन्होंने एक गोपनीयता क्लब (confidentiality club) के गठन की भी मांग की।
पिछले 25 सितंबर को अदालत ने टिप्पणी की थी कि सीलबंद लिफाफे में सूची दाखिल करना “समस्याजनक” हो सकता है, क्योंकि कपूर के दो बच्चे—जो उनकी पूर्व पत्नी और अभिनेत्री करिश्मा कपूर से हैं—को घोषित संपत्तियों पर सवाल उठाने का अधिकार है।
अदालत का यह आदेश गोपनीयता बनाए रखने और उत्तराधिकारियों के अधिकारों की रक्षा करने के बीच संतुलन साधने का प्रयास माना जा रहा है। अब मामले की अगली सुनवाई में भी गोपनीयता को प्राथमिकता दी जाएगी।