पटना हाईकोर्ट ने बिहार में विभिन्न स्तरों के न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा अपने निजी वाहनों पर ‘जज’ या ‘न्यायिक अधिकारी’ जैसी नेमप्लेट/बोर्ड लगाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब मांगा है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को 15 अक्टूबर 2025 तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह जनहित याचिका विधि छात्र केशव कुमार झा की ओर से दायर की गई है, जिनकी पैरवी अधिवक्ता प्रफुल्ल कुमार झा ने की। याचिका में कहा गया है कि बिहार के अधीनस्थ न्यायालयों के कई न्यायिक पदाधिकारी अपने निजी वाहनों पर पदनाम लिखी नेमप्लेट लगाते हैं, जो कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यह आचरण 15 फरवरी 2019 को जारी हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि कोई भी न्यायिक पदाधिकारी अपने निजी वाहन पर “जज”, “न्यायिक पदाधिकारी” या इस तरह का कोई भी बोर्ड नहीं लगाएगा।

2019 के आदेश में बिहार के विधि सचिव, बिहार न्यायिक अकादमी के निदेशक, बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष समेत अन्य अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि किसी भी न्यायिक पदाधिकारी द्वारा ऐसे नेमप्लेट/बोर्ड का उपयोग न हो।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि आदेश और नियमों के बावजूद न्यायिक अधिकारी निजी वाहनों पर नामपट्टिका का उपयोग कर रहे हैं। इससे न केवल कानून का उल्लंघन होता है, बल्कि ट्रैफिक नियमों को भी खुलेआम तोड़ा जाता है। याचिका में कहा गया है, “इन बोर्डों के कारण पुलिसकर्मी उन्हें रोकने या चालान करने से कतराते हैं, जिससे ट्रैफिक नियमों का दुरुपयोग होता है।”
इस मामले की अगली सुनवाई अब 15 अक्टूबर 2025 को होगी, जब राज्य सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन अपना जवाब दाखिल करेंगे।