दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका (PIL) खारिज कर दी, जिसमें केंद्र और चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी कि देश के आम चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) के बजाय बैलेट पेपर से कराए जाएं।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट निर्णय दे चुका है। याचिकाकर्ता उपेंद्र नाथ दलाई ने आम चुनावों में ईवीएम के उपयोग पर आपत्ति जताई थी।
अदालत ने उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि ईवीएम “सरल, सुरक्षित और उपयोगकर्ता-हितैषी” हैं। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि मतदाता, उम्मीदवार, उनके प्रतिनिधि और चुनाव आयोग के अधिकारी ईवीएम प्रणाली की बारीकियों से भली-भांति परिचित हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर उठी चिंताओं पर बार-बार न्यायालयों ने विचार किया है और वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) प्रणाली के समावेश ने मत की सत्यापन क्षमता को और मजबूत किया है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
इस आधार पर अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया।