झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुर्या हांसदा की विधवा सुशीला मुर्मू द्वारा दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उनके पति की कथित फर्जी मुठभेड़ में हुई मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है।
यह याचिका सुशीला मुर्मू के साथ उनकी सास नीलमणि मुर्मू ने भी दाखिल की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि 11 अगस्त को देवघर में पुलिस ने जानबूझकर सुर्या हांसदा की हत्या की और इसे मुठभेड़ का रूप दिया। अदालत ने इस मामले को अब दशहरा अवकाश के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
पुलिस के अनुसार, सुर्या हांसदा — जो कई विधानसभा चुनाव लड़ चुके थे और उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले भी लंबित थे — को 10 अगस्त को देवघर के नवाडीह गांव से गिरफ्तार किया गया था। अगले दिन हथियार बरामद करने के लिए जब पुलिस उन्हें रहदबाड़िया पहाड़ियों की ओर ले जा रही थी, तब उन्होंने कथित तौर पर पुलिसकर्मी से हथियार छीनकर फायरिंग की और भागने की कोशिश की। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में उनकी मौत हो गई।

हालांकि, हांसदा के परिजन इस पूरी कहानी को गढ़ा हुआ बताते हुए इसे पुलिस द्वारा की गई सुनियोजित हत्या करार दे रहे हैं।
इस घटना ने राज्य की राजनीति को भी गरमा दिया है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है और मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने की मांग कर रही है।
अब जबकि मामला हाईकोर्ट में लंबित है, दशहरा के बाद होने वाली अगली सुनवाई में इस पर और गहन पड़ताल की संभावना है।