दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि को दिया विज्ञापन में बदलाव का आदेश, ‘साधारण च्यवनप्राश’ कहने की अनुमति

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद को अपने च्यवनप्राश विज्ञापन से कुछ हिस्से हटाने का निर्देश दिया, जिन्हें डाबर च्यवनप्राश के प्रति अपमानजनक माना गया था। हालांकि, अदालत ने कंपनी को “क्यों लेना साधारण च्यवनप्राश” कहने की अनुमति दी है।

न्यायमूर्ति हरि शंकर और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने यह आदेश पतंजलि की उस अपील पर दिया, जिसमें उसने जुलाई में आए एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी थी। उस आदेश में पतंजलि को “अपमानजनक” विज्ञापन चलाने से रोका गया था।

खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि पतंजलि केवल “साधारण च्यवनप्राश” शब्द का इस्तेमाल कर सकती है, क्योंकि यह महज “पफरी” (विज्ञापन की बढ़ा-चढ़ाकर कही जाने वाली बात) है। हालांकि, विज्ञापन में से “40 जड़ी-बूटियों से बना” वाले हिस्से को हटाने का निर्देश दिया गया।

अदालत ने कहा, “हम च्यवनप्राश के मामले से निपट रहे हैं, यह कोई प्रिस्क्रिप्शन ड्रग नहीं है। यदि कोई कहता है कि मैं सबसे अच्छा हूं और बाकी उतने अच्छे नहीं हैं, तो यह पफरी है। केवल ‘साधारण’ शब्द के कारण लोग डाबर च्यवनप्राश लेना बंद कर देंगे, ऐसा नहीं माना जा सकता।”

जुलाई में न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने पतंजलि को विज्ञापन की लाइनें हटाने का आदेश दिया था:
“क्यों लेना साधारण च्यवनप्राश 40 जड़ी-बूटियों से बना?” और “तो साधारण च्यवनप्राश क्यों?”

इसके अलावा बाबा रामदेव द्वारा विज्ञापन में बोले गए वाक्य को भी हटाने का निर्देश दिया गया था:
“जिनको आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं, चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा के अनुरूप, ओरिजिनल च्यवनप्राश कैसे बना पाएंगे?”

एकल पीठ ने माना कि विज्ञापन में भले ही डाबर का नाम न लिया गया हो, लेकिन यह उसके च्यवनप्राश और बाकी उत्पादकों के प्रति नकारात्मक संदेश देता है।

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अपील में पतंजलि ने कहा कि उसके विज्ञापन में डाबर का नाम नहीं लिया गया और उसने केवल “साधारण च्यवनप्राश” तक विज्ञापन सीमित रखने की अनुमति मांगी। कंपनी ने “40 जड़ी-बूटियों से बना” वाले हिस्से को हटाने पर सहमति जताई और यह भी स्पष्ट किया कि वह अन्य प्रतिबंधित हिस्सों को दोबारा शामिल करने की मांग नहीं कर रही।

खंडपीठ ने इस आश्वासन को स्वीकार किया और संशोधित रूप में पतंजलि को प्रिंट और टीवी विज्ञापन प्रसारित करने की अनुमति दे दी।

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डाबर इंडिया लिमिटेड ने हाईकोर्ट का रुख कर आरोप लगाया था कि पतंजलि का स्पेशल च्यवनप्राश विज्ञापन उसके उत्पाद को “अपमानजनक” तरीके से प्रस्तुत कर रहा है और यह दावा करना कि “अन्य निर्माता च्यवनप्राश बनाने का ज्ञान नहीं रखते” भ्रामक है तथा पूरे वर्ग का अपमान है।

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