दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि राजनीति में सक्रिय व्यक्ति को “मोटी-चमड़ी” होना चाहिए, साथ ही यह भी ज़रूरी है कि सोशल मीडिया पर आए व्यंग्य और मानहानिपूर्ण टिप्पणियों के बीच फर्क किया जाए।
न्यायमूर्ति अमित बंसल भाजपा नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया की उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया से उन पोस्टों को हटाने की मांग की है जिन्हें उन्होंने “मानहानिपूर्ण” बताया है। यह पोस्ट हाल ही में एक टीवी समाचार कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति के बाद प्रसारित हुए थे। कार्यक्रम के दौरान वह कुर्ता पहने नज़र आए, लेकिन निचला हिस्सा बिना पायजामे के दिखाई दिया।
भाटिया के वकील ने अदालत को बताया कि वह वास्तव में शॉर्ट्स पहने हुए थे और कैमरामैन ने गलती से उनका निचला हिस्सा दिखा दिया। उनका कहना था कि इस घटना से जुड़े सोशल मीडिया पोस्ट उनकी निजता का उल्लंघन हैं और इन्हें बिना सहमति प्रसारित नहीं किया जाना चाहिए।

इस पर न्यायमूर्ति बंसल ने कहा, “आपने इंटरव्यू दिया था, वे आपके घर में जबरन नहीं घुसे। जब आप राजनीति में होते हैं, तो आपको मोटी-चमड़ी होना पड़ता है। हमें यह देखना होगा कि क्या सिर्फ व्यंग्य है और क्या सचमुच मानहानिपूर्ण।” उन्होंने साथ ही यह स्पष्ट किया कि अश्लील टिप्पणियाँ हटाई जानी चाहिए।
अदालत ने अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार किया और कहा कि ऐसे मामलों में अत्यधिक सतर्कता बरतनी होती है। “सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के मामलों में एक्स-पार्टी आदेश नहीं देने चाहिए। हमें बेहद सावधानी रखनी होगी,” न्यायमूर्ति बंसल ने टिप्पणी की।
मामले की अगली सुनवाई 25 सितम्बर को होगी।