कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार के फिल्म टिकट कीमतों पर ₹200 की अधिकतम सीमा तय करने के फैसले पर अंतरिम स्थगन लगा दिया। जस्टिस रवि होसमनि ने कहा कि मामले की सुनवाई और अंतिम निर्णय तक यह कैप प्रभावी नहीं होगा।
यह आदेश मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, कुछ फिल्म निर्माण कंपनियों और पीवीआर इनॉक्स के एक शेयरधारक द्वारा दायर याचिकाओं पर पारित किया गया, जिनमें राज्य द्वारा एक समान टिकट-कैप लगाने को चुनौती दी गई थी।
सीनियर अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, ध्यान चिन्नप्पा और उदय होळा ने तर्क दिया कि यह कैप मनमाना है, विधायी अधिकार से परे है और अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत व्यवसाय करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है। रोहतगी के अनुसार संशोधन मूल प्रावधान से आगे बढ़ता है, विभिन्न सिनेमा प्रारूपों के अंतर को नज़रअंदाज़ करता है और लक्ज़री थियेटर्स को साधारण हॉल्स के बराबर मान लेता है।

राज्य ने इसे जनहित में नीति निर्णय बताते हुए कहा कि थियेटर और मनोरंजन राज्य सूची के तहत आते हैं, इसलिए कीमतों का विनियमन करने का अधिकार राज्य सरकार के पास है। अतिरिक्त महाधिवक्ता इस्माइल ज़बीउल्ला ने बताया कि इस माह कर्नाटक सिनेमाज़ (रेग्युलेशन) रूल्स, 2014 में संशोधन के जरिए कैप लागू किया गया ताकि सिनेमा तक सुलभ पहुंच सुनिश्चित हो सके। यह नियम पूरे राज्य में समान रूप से लागू होगा, सिवाय उन बुटीक/प्रीमियम-फॉर्मेट थियेटरों के जिनमें 75 या उससे कम सीटें हैं।
अंतरिम रोक के चलते, हाई कोर्ट में अंतिम सुनवाई तक मौजूदा टिकट-प्राइसिंग व्यवस्था जारी रहेगी।