सड़क पर स्टंट: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 18 जब्त कारों को छोड़ने पर लगाई रोक, पुलिस की कार्रवाई को बताया ‘दिखावा’

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सार्वजनिक सड़कों पर गुंडागर्दी और खतरनाक स्टंट की घटनाओं का स्वतः संज्ञान लेते हुए एक अहम आदेश जारी किया है। कोर्ट ने स्टंट करते हुए पकड़े गए युवकों की 18 जब्त कारों को अपनी अनुमति के बिना नहीं छोड़ने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने पुलिस की कार्रवाई को “महज एक दिखावा” करार देते हुए तीखी आलोचना की। कोर्ट ने टिप्पणी की कि जब अपराधी अमीर या राजनीतिक रूप से प्रभावशाली होते हैं, तो अधिकारी अक्सर “दंतहीन बाघ” बन जाते हैं।

यह मामला 19 सितंबर, 2025 को एक अप्रत्याशित सुनवाई के लिए तब सामने आया जब कोर्ट ने हिंदी दैनिक ‘दैनिक भास्कर’ और ‘हरिभूमि’ में प्रकाशित खबरों पर ध्यान दिया। इन रिपोर्टों में बताया गया था कि कई युवक लवर गांव स्थित एक फार्महाउस में जन्मदिन की पार्टी के लिए जा रहे थे और इस दौरान वे मस्तूरी रोड पर अपनी चलती कारों की खिड़कियों और सनरूफ से लटककर खतरनाक स्टंट कर रहे थे। उनके इस कृत्य से अन्य यात्रियों की जान को खतरा पैदा हुआ और राष्ट्रीय राजमार्ग-49 पर ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई।

READ ALSO  कॉमन एरिया और कॉमन फैसिलिटी पर फ्लैट मालिकों का हक़ होता है: मद्रास हाईकोर्ट

यह पुलिस कार्रवाई तब शुरू हुई जब वहां से गुजर रहे अन्य लोगों ने इस घटना को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड कर लिया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद 18 कारों को जब्त कर लिया गया।

Video thumbnail

राज्य सरकार की दलीलें

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता श्री प्रफुल्ल एन भरत और उप महाधिवक्ता श्री शशांक ठाकुर ने कोर्ट को सूचित किया कि पुलिस ने मोटर वाहन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत अपराध दर्ज किया है। उन्होंने यह भी बताया कि स्टंट में इस्तेमाल किए गए वाहनों को जब्त कर लिया गया है और कार मालिकों के ड्राइविंग लाइसेंस को रद्द करने के लिए संबंधित अधिकारियों से सिफारिश की गई है।

कोर्ट का विश्लेषण और टिप्पणियां

हाईकोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि इस तरह की घटनाएं तब भी जारी हैं, जबकि कोर्ट ने 3 फरवरी, 2025 को ही सड़क पर होने वाली गुंडागर्दी के मुद्दे पर संज्ञान लिया था और मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक द्वारा इस समस्या को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर कई शपथपत्र भी दाखिल किए जा चुके हैं।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने AAP सरकार के दौरान केंद्र और LG के खिलाफ दायर मामले वापस लेने की BJP सरकार को दी अनुमति

पीठ ने कानून के अलग-अलग क्रियान्वयन पर एक कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस का गुस्सा केवल गरीबों, मध्यम वर्ग और दबे-कुचले लोगों पर ही बरसता है, लेकिन जब अपराधी बाहुबल, धन या राजनीतिक संरक्षण के मामले में प्रभावशाली होता है, तो पुलिस अधिकारी दंतहीन बाघ बन जाते हैं और ऐसे अपराधियों को मामूली जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाता है और उनके वाहन भी मालिकों को लौटा दिए जाते हैं।”

कोर्ट ने ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कानूनों के उपयोग करने में पुलिस की हिचकिचाहट पर सवाल उठाया। आदेश में कहा गया, “यह समझना मुश्किल है कि पुलिस अधिकारियों को ऐसे अपराधियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रासंगिक प्रावधानों या किसी अन्य कड़े कानून के तहत अपराध दर्ज करने से क्या रोकता है, जो अपने गैर-जिम्मेदाराना और लापरवाही भरे कृत्यों से अन्य यात्रियों के जीवन को खतरे में डालते हैं।”

कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर देते हुए पीठ ने कहा, “ऐसे गुंडों के खिलाफ पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई ऐसी होनी चाहिए जो उनके जीवन के लिए एक सबक हो।” कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि मौजूदा मामले में की गई कार्रवाई अपर्याप्त और “महज एक दिखावा” थी।

READ ALSO  क्या राज्य या उसके तंत्र द्वारा निर्माणों के विध्वंस के लिए अनुच्छेद 226 के तहत एक याचिका में उच्च न्यायालय मुआवजा दे सकता है? जानिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय

निर्णय और निर्देश

अपनी टिप्पणियों के आलोक में, हाईकोर्ट ने अधिकारियों को मस्तूरी पुलिस द्वारा जब्त की गई 18 कारों को कोर्ट की अनुमति के बिना नहीं छोड़ने का निर्देश जारी किया।

इसके अलावा, पीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को अगली सुनवाई पर एक शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें यह बताया जाए कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत की गई कार्रवाई के अलावा अपराधियों के खिलाफ और क्या कदम उठाए गए हैं।

मामले (WPPIL No. 21 of 2025) की अगली सुनवाई 23 सितंबर, 2025 को निर्धारित की गई है। कोर्ट ने राज्य के वकील को इस आदेश की एक प्रति तत्काल मुख्य सचिव को सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजने का निर्देश दिया है।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles