सरकारी आवास आवंटन मनमर्जी से नहीं हो सकता, दिल्ली हाईकोर्ट में अरविंद केजरीवाल के बंगले की याचिका पर सुनवाई

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि सरकारी आवास का आवंटन अधिकारियों की “मनमानी” पर नहीं छोड़ा जा सकता और इसके लिए एक पारदर्शी व सुसंगत नीति होनी चाहिए। अदालत यह टिप्पणी आम आदमी पार्टी (आप) की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कर रही थी, जिसमें पार्टी ने अपने राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए दिल्ली में सरकारी बंगला मांगा है।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव और डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स के निदेशक को 25 सितंबर को वर्चुअली उपस्थित रहने का निर्देश दिया। अदालत ने केंद्र से पूछा, “क्या कोई तय प्रक्रिया है? प्राथमिकता कैसे तय होती है और आवंटन का क्रम क्या होता है? यदि बंगले सीमित संख्या में हैं तो यह निर्णय कैसे लिया जाता है?”

अदालत ने स्पष्ट किया कि “इसमें पारदर्शी तंत्र होना चाहिए और यह केवल मनमानी पर आधारित नहीं हो सकता। जब तक कोई स्पष्ट नीति न हो, यह जानना आवश्यक है कि प्राथमिकता का आकलन किस प्रकार किया जाता है।”

Video thumbnail

केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि लोधी एस्टेट स्थित टाइप-VII बंगला नंबर 35, जिसे आप ने केजरीवाल को आवंटित करने का प्रस्ताव दिया था, 24 जुलाई को वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी को दे दिया गया। यह जानकारी अदालत के उस निर्देश पर दी गई, जिसमें बंगले के आवंटन की तारीख पूछी गई थी। यह बंगला बसपा सुप्रीमो मायावती ने मई में खाली किया था।

READ ALSO  2020 दिल्ली दंगा मामला: अदालत ने 8 आरोपियों पर हत्या, आगजनी का आरोप लगाया

अदालत ने केंद्र को यह भी निर्देश दिया कि वह शपथपत्र दाखिल कर मौजूदा आवंटन नीति, पूर्व में किए गए आवंटनों और उनमें नीति के अनुप्रयोग का पूरा ब्यौरा पेश करे।

16 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई थी और कहा था कि सरकार का रवैया “फ्री सिस्टम फॉर ऑल” जैसा है तथा यह तय नहीं कर सकती कि किसे मकान मिलेगा और किसे नहीं। अदालत ने केंद्र को 18 सितंबर तक नियमावली और मौजूदा प्रतीक्षा सूची का रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया था।

READ ALSO  Delhi HC Expresses Displeasure over Acrimony Between Govt Depts

आप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने तर्क दिया कि सरकार ने पहले समय मांगा था, लेकिन उसके बाद भी संबंधित बंगला किसी और को आवंटित कर दिया गया। याचिका में कहा गया है कि मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दल के अध्यक्ष को दिल्ली में एक सरकारी आवास का अधिकार है, बशर्ते उनके पास खुद का कोई मकान न हो और न ही उन्हें किसी अन्य आधिकारिक क्षमता में आवंटित किया गया हो।

READ ALSO  WhatsApp Challenges the New IT Rules 2021; Pleads Privacy Violation

मेहरा ने अदालत से कहा, “सभी पूर्व शर्तें पूरी होती हैं। हमारे पास राष्ट्रीय संयोजक है, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। हम केवल एक केंद्रीय रूप से स्थित आवास की मांग कर रहे हैं।”

अब मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles