समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आज़म ख़ान को 17 साल पुराने रोड ब्लॉकेज और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाने से जुड़े मामले में विशेष एमपी-एमएलए अदालत ने बरी कर दिया है। यह फैसला मंगलवार को सुनाया गया, जिसकी जानकारी उनके वकील ने बुधवार को दी।
यह मामला वर्ष 2008 का है। आरोप था कि छजलेट थाने के पास पुलिस ने उनकी गाड़ी से हूटर हटाया तो आज़म ख़ान ने कथित तौर पर समर्थकों के साथ हंगामा किया। उन्होंने सड़क जाम कर दी जिससे ट्रैफिक बाधित हुआ। आरोप यह भी था कि विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई और कुछ बिजली के खंभों को नुकसान पहुँचा। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर चार्जशीट दाखिल की और मुकदमा अदालत में चला।
आज़म ख़ान के बचाव पक्ष के अधिवक्ता शहनवाज़ सिब्तैन नक़वी ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा।

“हमने सात गवाह पेश किए जबकि अभियोजन पक्ष ने केवल एक गवाह प्रस्तुत किया। इसी के चलते अदालत ने आज़म ख़ान को बरी कर दिया,” नक़वी ने बताया।
लंबे समय तक कई बार अदालत के आदेशों के बावजूद आज़म ख़ान पेश नहीं हुए और आत्मसमर्पण से बचते रहे। हालांकि, अंततः मुकदमे की सुनवाई पूरी हुई और अदालत ने उन्हें दोषमुक्त करार दिया।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों का परीक्षण करने के बाद एमपी-एमएलए अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।