दिल्ली हाईकोर्ट ने हत्या के दोषी प्रवीन राणा की पैरोल चार सप्ताह के लिए बढ़ा दी है ताकि वह हाल ही में आई भारी बारिश और बाढ़ से नष्ट हुई अपनी फसल को बचाने और खेत की पुनर्बहाली कर सके।
न्यायमूर्ति अरुण मोंगा ने सोमवार को आदेश पारित करते हुए कहा कि कृषि कार्यों की बहाली बिना दोषी की व्यक्तिगत निगरानी के प्रभावी रूप से संभव नहीं है और इससे उसके आश्रित परिवार के जीवन-निर्वाह और बच्चों की शिक्षा पर सीधा असर पड़ेगा।
अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता की उपस्थिति न केवल अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा (भारी वर्षा) के कारण आवश्यक है, बल्कि उसके परिवार के जीवन-यापन के लिए भी जरूरी है। खेतों की रक्षा और बहाली के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है, जिनमें वित्तीय प्रबंध, उर्वरक, कीटनाशक और अन्य आवश्यक साधनों का प्रयोग शामिल है।”

राणा को जून में इस आधार पर फरलो (अस्थायी रिहाई) दी गई थी कि उसने अपने खेत में मौसमी फसल बोई थी। लेकिन भारी वर्षा और बाढ़ के कारण पूरा खेत डूब गया और पूरी फसल बर्बाद हो गई। उनके वकील ने दलील दी कि जिन कृषि कार्यों के लिए उन्हें छोड़ा गया था वे अधूरे रह गए और अब उनकी उपस्थिति जरूरी है ताकि खेत को फिर से संवारकर फसल बहाल की जा सके।
वकील ने यह भी बताया कि राणा के परिवार में उनकी विधवा मां और दो स्कूली बच्चे (14 और 15 वर्ष) हैं, जिनका जीवन-निर्वाह और शिक्षा पूरी तरह खेत से होने वाली आमदनी पर निर्भर है।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस विस्तार को “दूसरी पैरोल” माना जाएगा और जेल मैनुअल के अनुसार इसमें समायोजन किया जाएगा।
हालांकि अभियोजन पक्ष ने याचिका का विरोध किया और कहा कि दोषी ने समय रहते अदालत का दरवाज़ा नहीं खटखटाया, जिससे उसका आचरण संदेह पैदा करता है। लेकिन अदालत ने मानवीय आधारों पर राहत देते हुए पाया कि उसकी अस्थायी रिहाई उसके परिवार की आजीविका के लिए आवश्यक है।