इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को तय की। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और प्रस्तुत दस्तावेजों पर विचार करने के बाद यह आदेश पारित किया।
सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष वाद संख्या 17 से जुड़े दस्तावेज पेश किए गए। इससे पहले 18 जुलाई को हाईकोर्ट ने सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) की आदेश 1 नियम 8 के तहत दायर आवेदन को स्वीकार करते हुए इसे प्रतिनिधि वाद का दर्जा दिया था। अब वाद संख्या 17 को प्रतिनिधि वाद माना जाएगा और सबसे पहले उसी पर सुनवाई व निर्णय होगा।
वादकारियों में से एक की ओर से यह भी बताया गया कि उन्होंने एक विशेष अपील डिवीजन बेंच के समक्ष दाखिल की है। इस पर अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि उस अपील में कोई विपरीत आदेश पारित होता है तो उसे उसी समय विचार में लिया जाएगा।

हिंदू पक्ष ने 18 वाद दाखिल किए हैं जिनमें शाही ईदगाह को हटाकर भूमि पर कब्जा दिलाने, जन्मस्थान मंदिर की बहाली और स्थायी निषेधाज्ञा जारी करने की मांग की गई है।
1 अगस्त 2024 को हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल उन याचिकाओं को खारिज कर दिया था जिनमें इन वादों की ग्राह्यता को चुनौती दी गई थी। अदालत ने कहा था कि हिंदू पक्ष के वाद सुनवाई योग्य हैं और ये सीमा अधिनियम (Limitation Act), वक्फ अधिनियम या पूजा स्थल अधिनियम, 1991 (जिसमें 15 अगस्त 1947 को धार्मिक स्थल की स्थिति बदलने पर रोक है) से बाधित नहीं हैं।
इसके बाद 23 अक्टूबर 2024 को हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह समिति की उस अर्जी को भी खारिज कर दिया था जिसमें 11 जनवरी 2024 के आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी। उस आदेश के तहत इस विवाद से संबंधित सभी वादों को एक साथ सुनवाई हेतु समेकित कर दिया गया था।