हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शिमला शहर में बिगड़ती ट्रैफिक और पार्किंग व्यवस्था पर चिंता जताई है और कहा कि शहर अपनी पारंपरिक ‘छाता और जैकेट के साथ टहलने’ वाली संस्कृति खोता जा रहा है, जो कभी उत्तराखंड के मसूरी से तुलना की जाती थी।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान गृह सचिव और शिमला के पुलिस अधीक्षक को सील रोड पर जारी वाहन पास की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि अधिकारियों को पास जारी करने के मानदंड और श्रेणियों का विवरण देना होगा।
पीठ ने कहा कि शिल्ली चौक/शिमला क्लब से छोटा शिमला तक की सील रोड पर बड़ी संख्या में वाहन पास जारी किए गए हैं, जिससे पैदल यात्रियों की आवाजाही बाधित हो रही है। अदालत ने दायरे का विस्तार करते हुए मॉल रोड के रॉक सी होटल से लेकर विलो बैंक तक के हिस्से में वाहनों की पार्किंग पर भी नाराज़गी जताई।

अदालत ने कहा, “अगर वाहनों को ड्रॉप-ऑफ के लिए अनुमति दी भी गई है और पास जारी किए गए हैं, तो भी इसका मतलब यह नहीं कि रातभर गाड़ी पार्क की जा सके। अधिकतम इसे केवल ड्रॉप ज़ोन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।”
यह PIL संभव भसीन ने दायर की थी, जिसमें आर्मी ट्रेनिंग कमांड से राम बाजार तक सड़क की सफाई, गंदगी हटाने और दोपहिया पार्किंग के लिए दिशानिर्देश तय करने की मांग की गई थी।
पीठ ने कहा कि याचिका के साथ लगाई गई तस्वीरें बेहद “निराशाजनक हालात” दिखाती हैं, जहां दोपहिया और चारपहिया वाहन सड़क पर खड़े होकर पैदल रास्ता रोक रहे हैं और उनके पीछे स्थानीय लोगों द्वारा कचरा जमा कर दिया गया है।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि यह स्थिति इस बात को दर्शाती है कि नगर निगम ने अपने अधिकारों का पर्याप्त उपयोग नहीं किया है। मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी।