महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में कई याचिकाएँ दायर की गई हैं, जिसके तहत मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी कर उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण का लाभ देने का मार्ग प्रशस्त किया गया है।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंकल की खंडपीठ के समक्ष यह मामला उल्लेखित किया गया। अदालत निकट भविष्य में याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
याचिकाओं में कहा गया है कि सरकार का यह शासनादेश (जीआर) “मनमाना, असंवैधानिक और राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम” है। एक याचिका में आरोप लगाया गया कि सरकार मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बार-बार अपना रुख बदल रही है और केवल “राजनीतिक रूप से प्रभावशाली” समुदाय को खुश करने का प्रयास कर रही है।

एडवोकेट विनीत विनोद धोटरे द्वारा दायर जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि मराठाओं को ओबीसी का दर्जा देना वास्तविक पिछड़ी जातियों के साथ भेदभाव है और इससे उनका आरक्षण हिस्सा घटेगा।
एक अन्य याचिका शिव अखिल भारतीय वीरशैव युवक संगठन ने दायर की, जिसमें राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्टों का हवाला दिया गया। इन रिपोर्टों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मराठा और कुनबी दो अलग-अलग समुदाय हैं। “सरकार पुनः यह प्रचार नहीं कर सकती कि मराठा और कुनबी एक ही हैं,” याचिका में कहा गया।
ओबीसी वेलफेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष मनोज ससाने ने अपनी पूर्ववर्ती याचिका में संशोधन कर नवीनतम शासनादेश को भी चुनौती देने की अनुमति मांगी। अदालत ने उन्हें औपचारिक आवेदन दायर करने का निर्देश दिया। ससाने की पिछली याचिका में 2004 से जारी विभिन्न शासनादेशों को चुनौती दी गई थी, जिनके तहत मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र दिए जाने की व्यवस्था की गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने शासनादेश को निरस्त करने और अंतिम सुनवाई तक उसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है।
सरकार का यह निर्णय मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे के अनिश्चितकालीन आमरण अनशन के बाद आया, जिसने अगस्त के अंत में दक्षिण मुंबई के कई हिस्सों को ठप कर दिया था। इस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाराज़गी भी जताई थी।
2 सितंबर को सरकार ने हैदराबाद गजेटियर के आधार पर शासनादेश जारी किया और एक समिति गठित करने की घोषणा की, जो उन मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र दिलाने में मदद करेगी जिनके पास पूर्व में कुनबी के रूप में दर्ज ऐतिहासिक दस्तावेज मौजूद हैं।