इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अनोखे मामले में प्रयागराज के राजस्व अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे एक जनहित याचिका (PIL) दायर करने वाले याचिकाकर्ता के खिलाफ ही बेदखली की कार्यवाही शुरू करें। अदालत में यह खुलासा हुआ कि जिस तालाब की ज़मीन से अवैध कब्ज़ा हटाने की मांग उसने की थी, उसी ज़मीन पर उसका खुद का मकान बना हुआ है।
यह मामला हंडिया, प्रयागराज के निवासी ओमराज की ओर से दायर PIL से शुरू हुआ था। ओमराज ने आरोप लगाया था कि विपक्षी पक्ष के लालमणि पटेल ने ग्राम सभा के तालाब की ज़मीन पर मकान बना लिया है और 2022 में तहसीलदार द्वारा पारित बेदखली आदेश को लागू कराने की मांग की।
कार्रवाई के दौरान लालमणि पटेल के वकील ने इस आदेश को चुनौती दी। इसके बाद न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने मामले की पुनः जांच कराने का आदेश दिया।
21 अगस्त को हंडिया तहसीलदार ने हलफ़नामा दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि पटेल ने तालाब की ज़मीन पर कोई कब्ज़ा नहीं किया है। जांच में यह सामने आया कि विवादित ज़मीन पर बना मकान स्वयं याचिकाकर्ता ओमराज का है।

अदालत ने इस बात पर कड़ी नाराज़गी जताई कि राजस्व अधिकारियों ने पहले पटेल के खिलाफ बेदखली की कार्यवाही शुरू कर दी, जबकि कब्ज़ा उन्होंने किया ही नहीं था। न्यायालय ने सवाल किया कि जब विपक्षी पक्ष ने कोई कब्ज़ा नहीं किया था, तो उनके खिलाफ आदेश कैसे पारित हो गया।
हाईकोर्ट ने उन अधिकारियों पर भी सवाल उठाए जिन्होंने भ्रामक रिपोर्ट दी थी। अदालत ने लेखपाल दिलीप कुमार और राजस्व निरीक्षक गया प्रसाद कुशवाहा के खिलाफ की गई कार्रवाई पर विस्तृत हलफ़नामा मांगा है।
4 सितंबर को पारित आदेश में हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत ओमराज के खिलाफ बेदखली की कार्यवाही शुरू की जाए।