इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गुरुवार को चार स्वायत्त राज्य मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस प्रवेश में लागू 70 प्रतिशत एससी कोटे को लेकर आए विवाद पर बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें नई काउंसलिंग कराने का निर्देश दिया गया था, और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जिन एससी छात्रों को इस अतिरिक्त कोटे के तहत प्रवेश मिला है, उन्हें अन्य कॉलेजों में खाली सीटों पर समायोजित किया जाए।
न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की उस विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए दिया जो 28 अगस्त को एकल पीठ के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी। एकल पीठ ने आंबेडकर नगर, कन्नौज, जालौन और सहारनपुर मेडिकल कॉलेजों में लागू 70 प्रतिशत एससी कोटा रद्द कर दिया था और नई काउंसलिंग कराने का आदेश दिया था।
राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जे.एन. माथुर ने दलील दी कि सरकार ने पहले इस 70 प्रतिशत कोटे का बचाव किया था, लेकिन अब वह उत्तर प्रदेश प्रवेश शैक्षणिक संस्थान अधिनियम, 2006 का पालन कर रही है, जिसमें एससी आरक्षण 21 प्रतिशत तक सीमित है।

माथुर ने कहा कि नई काउंसलिंग कराने से पूरा प्रवेश प्रक्रिया अस्त-व्यस्त हो जाएगी और “अराजकता की स्थिति पैदा होगी।” उन्होंने यह भी बताया कि अन्य मेडिकल कॉलेजों में एससी श्रेणी की 82 सीटें अब भी खाली हैं, जहां अतिरिक्त कोटे के तहत दाखिला पाए छात्रों को समायोजित किया जा सकता है।
कोर्ट ने राज्य की दलीलों को स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि 70 प्रतिशत कोटे के तहत प्रवेश पाए एससी छात्रों को अन्य कॉलेजों की खाली सीटों पर समायोजित किया जाए। साथ ही कहा कि जिन चार मेडिकल कॉलेजों में विवाद हुआ है, वहां की खाली सीटें ओबीसी और अनारक्षित वर्ग के छात्रों को दूसरे चरण की काउंसलिंग में दी जाएंगी।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल कर यह आश्वासन दे कि अगले शैक्षणिक सत्र से केवल 21 प्रतिशत वैधानिक एससी कोटा ही लागू किया जाएगा। साथ ही चेतावनी दी कि यदि हलफनामा दाखिल नहीं किया गया तो अंतरिम आदेश का लाभ स्वतः समाप्त हो जाएगा।
कोर्ट ने यह भी दर्ज किया कि याचिकाकर्ता सबरा अहमद, जो ओबीसी श्रेणी की उम्मीदवार हैं, उन्हें पहले ही लखीमपुर खीरी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिल चुका है और राज्य ने उन्हें आंबेडकर नगर मेडिकल कॉलेज में भी सीट की पेशकश की थी।
मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में तय की गई है। उस दौरान राज्य को अदालत के निर्देशों के अनुपालन की विस्तृत जानकारी देनी होगी।