पत्नी को जिंदा जलाने वाले पति को मौत की सजा, अदालत ने कहा– ‘मानवता के खिलाफ घोर अपराध’

उदयपुर की एक अदालत ने एक व्यक्ति को अपनी पत्नी की निर्मम हत्या करने के मामले में फांसी की सजा सुनाई है। आरोपी ने पत्नी को बार-बार उसके रंग-रूप को लेकर ताने दिए और उसे झांसा देकर ऐसा रसायन लगाने को मजबूर किया जिसे उसने गोरा बनाने वाला बताया। बाद में उसने उस पर आग लगा दी।

मावली (उदयपुर) की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने इसे “मानवता के खिलाफ घोर अपराध” करार देते हुए कहा कि यह घटना किसी सभ्य और स्वस्थ समाज में सोची भी नहीं जा सकती।

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यह मामला 24 जून 2017 को नवानिया गांव का है, जहां आरोपी किशनलाल ने अपनी पत्नी लक्ष्मी को बहला-फुसलाकर एक ज्वलनशील तरल पदार्थ लगाने को कहा। उसने दावा किया कि इससे उसकी त्वचा गोरी हो जाएगी। लक्ष्मी ने शक जताया कि यह अम्ल जैसा पदार्थ है, लेकिन पति पर भरोसा कर उसने इसे शरीर पर लगा लिया। इसके बाद आरोपी ने अगरबत्ती जलाकर उसके शरीर में आग लगा दी।

लक्ष्मी गंभीर रूप से झुलस गई और मदद के लिए चिल्लाती हुई बाहर निकली, लेकिन आरोपी ने पहले ही कमरे को अंदर से बंद कर दिया था। परिजनों ने उसे अस्पताल पहुंचाया, मगर कुछ दिनों बाद उसने दम तोड़ दिया।

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फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा:

“यह हृदय विदारक और बर्बर कृत्य न केवल मृतका लक्ष्मी के खिलाफ अपराध है, बल्कि पूरी मानवता के लिए ऐसा झटका है जिसकी कल्पना भी किसी सभ्य समाज में नहीं की जा सकती।”

अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी का रवैया उसकी पत्नी के प्रति गहरे सामाजिक पूर्वाग्रह और लिंग-आधारित हिंसा को दर्शाता है।

लोक अभियोजक दिनेश पालीवाल ने 14 गवाह और 36 दस्तावेज पेश किए। सबसे अहम सबूत लक्ष्मी का मरते समय दिया गया बयान था, जिसमें उसने स्पष्ट बताया कि उसका पति बार-बार उसके रंग को लेकर ताने मारता था और उसी ने उसे आग लगाई।

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अदालत ने कहा कि आरोपी का आचरण केवल पति के रूप में विफलता नहीं बल्कि विवाह जैसे पवित्र रिश्ते में विश्वासघात और मानवता पर हमला है।

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