इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद उमाकांत यादव की सजा और दोषसिद्धि पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व मछलीशहर सांसद उमाकांत यादव की सजा और दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति संतोष राय की खंडपीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान दिया। यादव ने जौनपुर की सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए आपराधिक अपील दाखिल की थी।

फरवरी 1995 में जौनपुर के शाहगंज जीआरपी थाने पर हमला कर अपने ड्राइवर राजकुमार यादव को छुड़ाने के लिए उमाकांत यादव और उनके समर्थकों पर अंधाधुंध फायरिंग करने का आरोप लगा था। इस घटना में जीआरपी कांस्टेबल अजय सिंह की मौत हो गई थी, जबकि कांस्टेबल लालन सिंह, रेलवे कर्मचारी निर्मल और यात्री भरत लाल गंभीर रूप से घायल हुए थे।

READ ALSO  Apple और सर्विस सेंटर को iPhone क्षति के लिए एक लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया

2022 में जौनपुर की सत्र अदालत ने इस मामले में यादव समेत सात लोगों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) में उम्रकैद, धारा 307 (हत्या के प्रयास) में 10 साल और अन्य धाराओं में भी सजा दी थी।

Video thumbnail

हाईकोर्ट में अपील करते हुए यादव ने कहा कि वे राजनीतिक व्यक्ति हैं और आगामी चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट के नवजोत सिंह सिद्धू बनाम पंजाब राज्य और लोक प्रहरी बनाम चुनाव आयोग (2007) मामलों का हवाला दिया, जिनमें चुनाव लड़ने के लिए दोषसिद्धि पर रोक लगाई गई थी।

यादव ने अपने लंबे राजनीतिक करियर का भी उल्लेख किया। वे वर्ष 2004 से 2009 तक सांसद और 1991 से 2002 तक लगातार तीन बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे।

READ ALSO  असम पुलिस द्वारा महिला की कथित अवैध हिरासत के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 2 जून को सुनवाई

वहीं, राज्य सरकार के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए यादव को जमानत (जो 13 अगस्त 2025 को दी गई थी) से आगे कोई राहत नहीं मिलनी चाहिए।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उमाकांत यादव की दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगा दी। इससे अब उनके चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है।

READ ALSO  कोर्स के बीच में कॉलेज छोड़ने पर नहीं वापस होगी फ़ीसः हाईकोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles