सुप्रीम कोर्ट बिहार स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई को तैयार, आरजेडी और एआईएमआईएम ने मांगी समयसीमा बढ़ाने की मांग

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार की मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की निर्धारित समयसीमा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति जताई। यह याचिकाएँ राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने दायर की हैं। दोनों दलों ने दावा किया है कि 1 सितंबर को खत्म हो रही दावे और आपत्तियाँ दर्ज करने की समयसीमा को बढ़ाया जाए।

आरजेडी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 22 अगस्त के आदेश से पहले तक लगभग 80,000 दावे दाखिल हुए थे और इसके बाद 95,000 और दावे प्रस्तुत किए गए। उनका कहना था कि इतनी बड़ी संख्या यह दर्शाती है कि सभी योग्य मतदाताओं को अपने नाम सुधारने या आपत्तियाँ दर्ज करने का पर्याप्त समय मिलना चाहिए।

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भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के अनुसार, 24 जून से शुरू हुई इस प्रक्रिया में अब तक 1.62 लाख दावे और आपत्तियाँ दर्ज की गई हैं। इनमें से 17,516 का निस्तारण सत्यापन के बाद किया जा चुका है। आयोग ने यह भी जानकारी दी कि भाकपा (माले) लिबरेशन ने केवल 10 दावे दाखिल किए, जबकि शेष 1,62,453 दावे सीधे मतदाताओं की ओर से आए।

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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने के लिए यह विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया चलाई जा रही है। हालांकि, इसने राजनीतिक हलचल भी पैदा कर दी है। विपक्षी इंडिया गठबंधन, जिसकी अगुवाई कांग्रेस नेता राहुल गांधी कर रहे हैं, ने आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया भाजपा के पक्ष में “मत चोरी” की साजिश है।

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1 सितंबर की अंतिम तारीख नजदीक आने के साथ ही चुनाव आयोग और विपक्षी दलों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। इसी पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई का निर्णय लिया है।

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